मालवीय नगर ढाबा वाले 'बाबा' की दिलचस्प कहानी, ऐसे हुई थी शादी, इस तरह पहुंचे दिल्ली!

उनकी शादी बहुत ही कम उम्र में हो गई थी। वो सिर्फ पांच साल के थे और उनकी पत्नी की उम्र केवल 3 साल की जब उनकी शादी हो गयी थी।

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सोशल मीडिया एक ऐसी गजब की दुनिया जो रातों रात किसी को मशहूर कर सकती है। ऐसा ही कुछ हुआ मालवीय नगर में बाबा का ढाबा चलाने वाले कांता प्रसाद के साथ। कुछ दिनों पहले ट्विटर पर एक वीडियो शेयर किया गया जो देखते ही देखते वायरल हो गया। जिसमे एक बुजुर्ग  रोते हुए  देखा गया वो इस बात से दुखी था कि उसके ढाबे पर कोई आता नहीं है। कोरोना काल में उनका काम और ज्यादा प्रभावित हो गया था जिसकी वजह से वो परेशान थे। इसके बाद उस वीडियो पर क्रिकेटर अश्विनी और बॉलीवुड अभिनेत्री सोनम कपूर ने भी कमेंट किया और लोगों से इनकी मदद करने की अपील की उसके बाद तो जैसे बाबा के ढाबे पर तो भीड़ उमड़ पड़ी। ये सब देखकर कांता प्रसाद भावुक हो उठे। उन्होंने बताया कि कैसे वो दिल्ली आए? क्या-क्या किया? तो चलिए आपको भी बताते हैं कांता प्रसाद की कहानी। 


कांता प्रसाद ने बताया कि उनकी शादी बहुत ही कम उम्र में हो गई थी। वो सिर्फ पांच साल के थे जब उनकी शादी हो गयी थी और उनकी पत्नी की उम्र केवल 3 साल की थी। इतनी छोटी उम्र में शादी क्यों हुई इसका कारण बताते हुए उन्होंने कहा कि उस समय भारत में अंग्रेजी साशन था और ब्रिटिश या बाहरी लोग उन दिनों महिलाओं को परेशान किया करते थे खास तौर पर जिन लड़कियों की शादी नहीं हुई होती थी उन्हें छेड़ा करते थे। इसी वजह से छोटी उम्र में ही हमारी शादी कर दी गई। 


उन्होंने बताया उन्हें बचपन में ही एक दुसरे के साथ शादी के बंधन बांध दिया गया। उनके पास एक दुसरे को पसंद करने के अलावा कोई और रास्ता ही नहीं था।  उसके अलावा कोई और भी होता तब भी वह उसे पसंद करता। क्योंकि वो लोग उस वक़्त बहुत छोटे थे इसलिए अपने अपने घर रहा करते थे लेकिन 1961 में उनकी पत्नी उनके पास रहने आ गई क्योंकि अब बड़े हो गए थे। अपनी खुशी को ज़ाहिर करते हुए उन्होंने बताया "मैंने उसे अपनी बाँहों में उठा लिया और अपने घर ले आया।"  फिर 21 साल की उम्र में वो दोनों यूपी से दिल्ली चले गए उसके बाद यहां आकर अपना काम शुरू किया।


दिल्ली आने के बाद वो लोग यमुना पार रहने लगे और सबसे पहले एक फलों के ठेले  अपना काम शुरू किया। समय बीता बच्चे हुए बच्चे बड़े हुए तो कांता प्रसाद को लगा कि अब उन्हें अपना काम बढ़ा देना चाहिए क्योंकि परिवार बड़ा हो गया है और सहारे के लिए बच्चे भी हैं। फिर बहुत सोच विचार के बाद उन्होंने बाबा दा ढाबा खोलने का फैसला किया।


अपने बारे में बताते हुए उन्होंने कहा कि मैंने जीवन के 30 साल दिया है पर मेरा काम पहले इतना अच्छा नहीं चल रहा था। मैंने बस एक अच्छी कामना और पूरे आत्मविश्वास और लगन  के साथ अपना काम किया। उन्होंने भावुक होते हुए कहा कि "जब मैंने अपने स्टाल पर एनजीओ, अभिनेताओं, सभी लोगों की कतारें देखीं, जो मुझसे मिलने आए थे तो मुझे बहुत ख़ुशी हुई । जब मैं 21 साल का थी, तब मैंने यह सपना देखा था और कल मैंने कल इस सपने को पूरा होते देखा है।  भगवान तुम्हारी सुनता है, बेटा अभी नहीं तो  30, 40,50 या मेरी जितनी 80 की उम्र में सुनेगा पर जरूर सुनेगा।" 


 

उन्होंने आगे कहा "मैं और जीना चाहता हूं। मेरी पत्नी के साथ घूमना चाहता हूं। उसने जल्दी से कैमरा के लिए पोज़ देना सीखा, हालांकि मुझे थोड़ा समय लगा, मैं उसको उन पुराने दिनों की तरह चाय पैर लेकर जाना चाहता हूं।"

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