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RBI की बैठक:
RBI के गवर्नर संजय मल्होत्रा ने मॉनेटरी पॉलिसी कमेटी में इस फैसले पर अपनी सहमति दी है। RBI की यह बैठक 7 अप्रैल को शुरू हुई थी और आज यानी 9 अप्रैल को समाप्त हुई।
रेपो रेट:
रेपो रेट को री-पर्चेज रेट या री-पर्चेजिंग एग्रीमेंट भी कहा जाता है। यह वह दर है जिस पर RBI बैंकों को लोन देती है। जब रेपो रेट घटता है, तो बैंकों को लोन सस्ती दरों पर मिलते हैं। इसका सीधा असर ग्राहकों पर पड़ता है, क्योंकि बैंक भी अपने लोन की ब्याज दरें कम कर देते हैं।
क्या बोले गवर्नर:
RBI ने यह फैसला डोनाल्ड ट्रंप के टैरिफ के
कारण लिया, जिससे विश्व अर्थव्यवस्था में हलचल के
साथ नए वित्तीय वर्ष की शुरुआत हुई। RBI के गवर्नर ने कहा कि RBI साथ ही मौद्रिक
नीति समिति (MPC)
के सदस्यों ने नीतिगत रेपो दर को तत्काल प्रभाव से 25 आधार अंकों से घटाकर 6% करने
के लिए मतदान किया। इस दौरान गवर्नर ने वैश्विक विकास के लिए नई चुनौतियों की ओर
भी इशारा किया।
आर्थिक विकास को बढ़ावा:
इससे होम लोन लेने वालों को फायदा होगा, लेकिन जमाकर्ताओं को इससे कोई लाभ नहीं मिलेगा। RBI ने 2026 में वास्तविक GDP वृद्धि दर के 6.5% रहने का अनुमान लगाया है। RBI का उद्देश्य आर्थिक विकास को बढ़ावा देना है। इस फैसले से भारतीय आम जनता, छोटे स्टार्टअप और व्यापारों को राहत मिलेगी।
कार और होम लोन:
5 लाख कार लोन पर 12% ब्याज दर लिया है तो 0.25% की कटौती के बाद 11.75% हो जाएगा। वही 50 लाख पर 8.75% ब्याज दर और 30 साल की ऋण अविधि ली है तो 0.25% की कटौती होने पर ब्याज दर 8.5% होगा। जो 8.75% पर EMI 39335 थी वो 8.5% पर
38446 होगी।
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