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आज हम बात करने जा रहे हैं थाईलैंड में चल रही मिस यूनिवर्स 2025 प्रतियोगिता के उन विवादों की, जो इस ब्यूटी पेजेंट को शुरुआत से ही सुर्खियों में रखे हुए हैं। केवल ग्लैमर और ग्लो ही नहीं, बल्कि राजनीति, पारदर्शिता, और आरोपों की एक कहानी भी है। चलिए, विस्तार से जानते हैं ये पूरा माजरा।
विवादों की शुरुआत — फातिमा बॉश वॉक-आउट
सबसे पहले विवाद तब शुरू हुआ जब मिस मेक्सिको, फातिमा बॉश, ने कार्यक्रम के दौरान मंच से वॉक-आउट किया। रिपोर्ट्स के अनुसार, थाई डायरेक्टर Nawat Itsaragrisil ने उन्हें सार्वजनिक रूप से “मूर्ख” कहा। यह आरोप लगाया गया कि फातिमा बॉश ने कुछ स्पॉन्सर इवेंट्स के नियमों का पालन नहीं किया, जिसके बाद डायरेक्टर ने उन्हें डांटा और सुरक्षा बुलाने की धमकी दी। इसके बाद कई अन्य कंटेस्टेंट्स ने एकता दिखाते हुए मंच छोड़ दिया, इस वॉक-आउट ने मिस यूनिवर्स मेक्सिको और अन्य प्रतिभागियों के बीच एकजुटता का संदेश भेजा।
जजों का इस्तीफा — अहम मोड़
विवादों ने और तेज रफ्तार पकड़ी जब Omar Harfouch जो मिस यूनिवर्स के जज थे, उन्होंने फिनाले से सिर्फ 3 दिन पहले इस्तीफा दे दिया। उनके अनुसार, “टॉप 30” प्रतियोगियों का चयन पहले ही किया जा चुका था, लेकिन वह इस चयन प्रक्रिया में शामिल नहीं थे। उन्होंने कहा कि एक अनौपचारिक जूरी बनाई गई थी, जिसमें कुछ ऐसे लोग शामिल थे जिनका व्यक्तिगत संबंध कुछ कंटेस्टेंट्स के साथ था — इससे पारदर्शिता और निष्पक्षता पर सवाल उठे। इसके अलावा, उन्होंने यह भी दावा किया कि एक जूरी सदस्य का एक प्रतियोगी के साथ affair है। ओमर हरफौच ने यह भी बताया कि उन्होंने इस मुद्दे पर मिस यूनिवर्स के सीईओ राउल रोचा के साथ बातचीत की, लेकिन उन्हें लगा कि उनकी चिंताओं को हल नहीं किया गया, इसलिए उन्होंने इस्तीफा देना बेहतर समझा। इस्तीफे के साथ ही, उन्होंने यह भी साफ किया कि वह इवेंट में संगीत नहीं देंगे, क्योंकि उन्होंने पेजेंट के लिए संगीत भी कंपोज़ किया था। इसके बाद दूसरा जज, फ्रांसीसी फुटबॉलर Claude Makélélé, ने भी “अनपेक्षित निजी कारणों” का हवाला देते हुए अपने पद को छोड़ दिया। हालांकि उन्होंने भ्रष्टाचार का सीधा आरोप नहीं लगाया, लेकिन उनका इस्तीफा ऐसे समय में आया है जब आयोजकों पर गंभीर आरोप लग रहे थे।
साड़ी पर उठा सवाल
थाईलैंड में जब नेशनल कॉस्ट्यूम राउंड आयोजित हुआ, तो दुनियाभर की नज़रें भारत की प्रतिनिधि पर थीं — जो इस बार अपने पारंपरिक साड़ी लुक में मंच पर उतरीं। भारी कारीगरी, राजा-रानी काल की झलक वाली एथनिक साड़ी, और उसके साथ शानदार ज्वेलरी उनके स्टेज पर आते ही पूरा ऑडिटोरियम तालियों से गूंज उठा। लेकिन अचानक बैकस्टेज से ही आवाज़ें आने लगीं — “क्या यह कॉस्ट्यूम थीम के नियमों के खिलाफ है? क्या यह बहुत पारंपरिक है? क्या यह क्रिएटिविटी में फिट नहीं बैठता?” कुछ देशों के प्रतिनिधियों ने आरोप लगाया कि भारत की साड़ी थीम से बाहर है जिसके बाद सोशल मीडिया पर भी बहस शुरू हो गई। इस मिस यूनिवर्स प्रतियोगिता में ग्लैमर के साथ-साथ बहुत बड़ी चुनौतियां सामने आ रही हैं। यह समय है कि हम केवल सुंदरता को न देखें, इन मुद्दो को नज़रअंदाज़ न करें, सोशल मीडिया पर चर्चाएं करें, सवाल उठाएं, ताकि भविष्य में ऐसी प्रतियोगिताएं ईमानदारी और निष्पक्षता के साथ हो सकें।




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