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धरती पर आज ही कहां दीवाली मनाने आए देवता ?
दिवाली की जगमगाहट भले ही खत्म हो जाए, लेकिन काशी की गलियां तब सच में रोशनी से नहा जाती हैं जब आती है देव दीपावली की रात।
“देवताओं की दिवाली”

इसे “देवताओं की दिवाली” कहा जाता है, क्योंकि इस दिन माना जाता है कि खुद देवता भी धरती पर उतरकर काशी में दीप जलाते हैं। आज यानि 05 नवंबर को ये पर्व मनाया जाता हैं। इस दिन गंगा घाटों पर दीपों की ऐसी सजावट होती है कि पूरी काशी मानो स्वर्ग बन जाती है। पुराणों के अनुसार, इस दिन भगवान शिव ने त्रिपुरासुर नामक राक्षस का संहार किया था। इस विजय के उपलक्ष्य में देवताओं ने आनंद मनाते हुए दीप जलाए थे। तभी से इसे “देव दीपावली” कहा जाने लगा।
वाराणसी

वाराणसी में इस दिन गंगा के दोनों तटों पर लाखों दीये जलाए जाते हैं। रात के समय जब गंगा आरती और दीपदान का दृश्य बनता है, तो ऐसा लगता है मानो धरती पर स्वयं स्वर्ग उतर आया हो।




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