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किसी ने सच ही कहा है कि भगवान सिर्फ भाव के भूखे होते हैं।और भोलेनाथ तो वैसे भी सच्चे मन से चढ़ाए गए एक लोटे जल से ही खुश हो जाते हैं। ऐसे ही एक शिवभक्त था कन्नप्पा। जो लोटे से नहीं बल्कि अपने मुंह में पानी भरकर लाकर शिवलिंग पर जल चढ़ाता था और मांस चढ़ाता था। लोग उसे पागल समझते थे, अधर्मी तक कह देते थे। लेकिन भोलेनाथ? वो तो उसके हर भाव को देख रहे थे भोलेनाथ जी ने उस भक्त की परीक्षा लेने की ठानी। एक दीन उस भक्त ने देखा शिवलिंग की एक आँख बह रही थी भक्त औषधि लगता हैं पर ठीक नहीं होती फिर वो बिना एक पल सोचे अपनी एक आंख शिवलिंग पर लगा देता हैं फिर वो देखता हैं अब शिवलिंग की दूसरी आंख से खून बह रहा हैं भक्त जैसे ही दूसरी आंख भी चढ़ाने ही वाला होता हैं तभी शिवजी प्रकट होते हैं और कन्नप्पा को आशीर्वाद देते हैं और कहते हैं -“सच्ची भक्ति नियमों से नहीं, भाव से होती है।”




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