मोहम्मद रफी को लेकर सड़कों पर उतर आए थे 10 हजार लोग, इस गाने को गाकर रो पड़ते थे सिंगर

मोहम्मद रफी ने लोगों के दिलों पर इस कदर राज किया है, जिसकी जितनी तारीफ करों उतना कम है। आइए जानते हैं कैसे उन्होंने हासिल किया इतना बड़ा मुकाम।

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इस दुनिया में कई ऐसे सिंगर मौजूद है जिनकी आवाज सुनते ही हर कोई दीवाना हो जाता है। उनकी आवाज सुनते ही कई लोगों का दिन बन जाता है तो कुछ का दिल खुश हो जाता है। उनमें से कुछ सिंगर्स अब हमारी बीच में नहीं हैं। यहां बात कर रहे हैं सुरों के बेताज बादशाह मोहम्मद रफी की। मोहम्मद रफी का जन्म 24 दिसंबर 1924 को पंजाब के कोटला सुल्तान सिंह गांव में हुआ था।  

1- मोहम्मद रफी कभी भी किसी भी संगीतकार से ये नहीं पूछा करते थे कि उन्हें गाना गाने के लिए कितने पैसे मिलेंगे। वह सिर्फ गाया गाने पर ही ध्यान देते थे और कई बार तो ऐसे मौके आए है जब उन्होंने 1 रुपये लेकर गाना गाया है।

2- लता मंगेशकर ने रफी साहब के लिए ये कहती है कि वो काफी सरल मन के इंसान है। ये उनकी खुशकिस्मती है कि उनके साथ सबसे ज्यादा गाने उन्होंने गाए हैं। वो ऐसे गाना गाते थे कि ना समझने वाले लोग वाह-वाह कर बैठते थे। 

3- रफी साहब का आखिरी गाना फिल्म आस पास के लिए रहा था। जो उन्होंने लक्ष्मीकांत प्यारेलाल के लिए अपने निधन से ठीक दो दिन पहले रिकॉर्ड किया था। गाना था शाम फिर क्यों उदास है दोस्त।

4- एक्टर किशोर कुमार की फिल्म के लिए मोहम्मद रफी ने गाने भी गाए थे उनमें बडे़ सरकार, रागिनी और भी कई फिल्में शामिल है। उन्होंने करीब 11 गाने किशोर कुमार के लिए गाए हैं।

5-  बहुत कम लोगों को ये पता है कि फिल्म नील कमल के गाने बाबुल की दुआएं लेती जा गाते वक्त मोहम्मद रफी की आंखों में आंसू आ जाया करते। इसके पीछे की वजह ये थी कि इस गाने को गाने से ठीक एक दिन पहले उनकी बेटी की सगाई हुई थी। इसीलिए वो भावुक थे। इस गाने को नेशनल अवॉर्ड तक मिला था।

6- फिल्म लैला मजून जिस वक्त बन रही थी उस वक्त ऋषि कपूर चाहते थे कि सिर्फ किशोर कुमार ही उनके लिए गाना गाएं जबकि संगीतकार मदन मोहन ने ये कहा दिया था कि यदि मोहम्मद रफी ही गाना गाएंगे नहीं तो हम फिल्म नहीं करेंगे। आखिरकर उन्होंने ही गाना गया और उनकी काफी तारीफ की गई।

7-  मोहम्मद रफी का जब निधन हुआ उस वक्त मुंबई में जोरों की बारीश हो रही थी और उस वक्त उनकी अंतिम यात्रा के लिए 10 हजार लोग सड़कों पर आ गए थे और उस वक्त मनोज कुमार ने कहा था कि सुरों की मां सरस्वती भी अपने आंसू बहा रही है आज।

8- रफी साहब जब घंटों गाना गाया करते थे तो उसके बाद पतंग उड़ाया करते थे। जब उनकी पतंग कट जाया करती थी तो वो बच्चों की तरह मचल जाया करते थे।


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