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‘छोटी सरदारनी’ फेम निमृत कौर अहलूवालिया ने किया बड़ा खुलासा, सुप्रीम कोर्ट के भीतर हुई थी यौन उत्पीड़न का शिकार
टीवी इंडस्ट्री की मशहूर अभिनेत्री और ‘छोटी सरदारनी’ फेम निमृत कौर अहलूवालिया इन दिनों एक बेहद गंभीर और चौंका देने वाले बयान के चलते चर्चा में आ गई हैं। एक इंटरव्यू के दौरान उन्होंने अपनी जिंदगी से जुड़ी एक कड़वी सच्चाई साझा की, जिसने सभी को सोचने पर मजबूर कर दिया है। उन्होंने बताया कि जब वह महज 19 साल की थीं, तब उनके साथ देश की सबसे सुरक्षित जगहों में से एक माने जाने वाले सुप्रीम कोर्ट के भीतर छेड़छाड़ की घटना घटी थी।
सुप्रीम कोर्ट में हुआ था हादसा
निमृत कौर ने बताया कि यह घटना तब हुई जब वह एक हाई प्रोफाइल केस की सुनवाई देखने के लिए सुप्रीम कोर्ट गई थीं। कोर्ट रूम उस वक्त लोगों से खचाखच भरा हुआ था। तभी किसी ने उनके प्राइवेट पार्ट को टच किया, जो एकदम चौंकाने वाला अनुभव था। शुरुआत में उन्होंने इसे भीड़भाड़ की वजह से हुआ एक भ्रम समझा, लेकिन कुछ ही पल में उन्हें अहसास हुआ कि कोई व्यक्ति जानबूझकर उन्हें परेशान कर रहा है।
लगातार पीछा करता रहा आरोपी
उन्होंने बताया कि जब उन्होंने पीछे मुड़कर देखा तो एक शख्स लगातार उन्हें घूर रहा था। इससे घबरा कर वह वहां से हटकर दूसरी जगह चली गईं, लेकिन वह व्यक्ति वहां भी पहुंच गया। इस बार उसने पहले उनके हाथ को टच किया और फिर एक बार फिर उनके प्राइवेट पार्ट को छूने की कोशिश की। यह देखकर वह पूरी तरह डर और सदमे में आ गईं।
महिला वकील बनी फरिश्ता, जड़ा थप्पड़
निमृत बताती हैं कि उनकी हालत देखकर एक महिला वकील तुरंत उनके पास आईं और बिना देरी किए उस आरोपी व्यक्ति को एक जोरदार तमाचा जड़ा। इसके बाद कोर्ट रूम में हड़कंप मच गया। पुलिस भी मौके पर पहुंच गई और फिर पूरा मामला काफी बड़ा मुद्दा बन गया।
ट्रॉमा से बाहर आने में लगा वक्त
इस घटना ने निमृत कौर की मानसिक स्थिति पर गहरा असर डाला। उन्होंने बताया कि इस ट्रॉमैटिक अनुभव से उबरने में उन्हें काफी वक्त लगा। उन्होंने यह भी कहा कि “एक महिला होने के नाते हमें हर दिन, हर जगह सतर्क रहना पड़ता है। लेकिन जब ऐसी घटनाएं उन जगहों पर होती हैं, जिन्हें सबसे सुरक्षित माना जाता है, तो वह डर और असहायता और भी बढ़ जाती है।”
महिला सुरक्षा को लेकर उठे सवाल
निमृत कौर का यह खुलासा महिला सुरक्षा पर एक बड़ा सवाल उठाता है। अगर सुप्रीम कोर्ट जैसी जगह पर भी कोई महिला सुरक्षित नहीं है, तो आम सार्वजनिक स्थानों पर महिलाओं की स्थिति क्या होगी? यह घटना हमें यह सोचने पर मजबूर करती है कि महिला सुरक्षा केवल कानून तक सीमित नहीं रहनी चाहिए, बल्कि जागरूकता, संवेदनशीलता और त्वरित न्याय की आवश्यकता है।




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