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कहते हैं हर मुसलमान आतंकवादी नहीं होता, लेकिन हम जिस भी आतंकवादी को पकड़ते हैं, वह मुसलमान ही क्यों होता है ? हम नहीं मानते की इस्लाम ऐसा सिखाता होगा लेकिन ये जिहाद इनको मौलवी सिखाता हैं या धर्म ? और अब जिन सारे देशो ने आतंवाद को शरण दिया हैं ये आज उन्ही के शहरों में कहर बनकर टूट रहा हैं सबसे दिल दहला देने वाली घटना सिडनी में हुई. एक बाप अपने बेटे को क्या सीखाता है ? लिहाज़ा आपका जवाब होगा अच्छी बात, अच्छा इंसान बनने की सीख... लेकिन अगर बाप-बेटा दोनों आंतकी बन जाते हैं, मासूम लोगों के उपर गोलियां बरसाते हैं, तो इसका मतलब है कि परवरिश में कहीं कमी रह गई. ऑस्ट्रेलिया में सिडनी में कुछ ऐसा ही हुआ है. यहां बोंडी बीच पर दो हमलावरों ने मिलकर उत्सव मना रहे यहूदियों पर ताबड़तोड़ फायरिंग कर कम के कम 16 लोगों की जान ले ली. 42 लोगों घायल हैं और हॉस्पिटल में भर्ती हैं. अब जानकारी मिली है कि ये दोनों हमलावर बाप-बेटे थे. एक आतंकी का नाम साजिद अकरम था, जिसकी उम्र 50 साल थी, जबकि दूसरा आतंकी उसका 24 साल का बेटा नवीद अकरम था. वही जब ये मौत का खेल जब चल रहा था तब एक 43 (तैंतालीस) साल के शख्स जिसका नाम अहमद अल-अहमद है. जो दो बच्चों के पिता हैं और फलों की दुकान चलाते हैं.उन्होंने अपनी जान की परवाह किया बिना राइफल ताने खड़े आतंकी की ओर दौड़ता है. वह पीछे से चीते की फुर्ती से उस पर झपटता है और हाथापाई करते हुए अपने खाली हाथों से आतंकी से राइफल छीन लेता है. वीरता की हद देखिए, बंदूक छीनते ही वह उसे वापस उसी आतंकी पर तान देता है. इस शख्स को खुद प्रधानमंत्री ने सलाम किया है और 90 लाख रुपए इनाम भी घोषित किया।
बोंडी बीच की ये तस्वीरें हमें इसी साल 22 अप्रैल को हुए पहलगाम आतंकी हमले की याद दिलाती हैं. उस हमले में भी आतंकियों ने धर्म पूछकर हिंदुओं को बेरहमी से मौत के घाट उतारा था. इस हमले में भी यहूदियों को सिर्फ उनके धर्म की वजह से निशाना बनाया गया. इससे एक बार फिर साबित होता है कि आतंकियों का कोई धर्म नहीं नहीं होता, लेकिन आतंकवादी हमलों में मरने वालों का धर्म जरूर होता है. जांच में पता चला है कि जब इजरायल और हमास के बीच गाजा युद्ध चल रहा था, उसी दौरान पिता-बेटे ने इस हमले की साजिश रची. बड़ा खुलासा ये भी हुआ कि साजिद अकरम एक गन क्लब का सदस्य था और उसके पास 6 लाइसेंसी बंदूकें थीं. इसी हथियारों का इस्तेमाल इस हमले में किया गया. जब पुलिस ने साजिद अकरम को मार गिराया, उस वक्त उसका बेटा नवीद अकरम अपने पिता को देखने के बजाय यहूदियों के खिलाफ नारे लगाते हुए गोलीबारी करता रहा. इस हमले में 10 साल की एक बच्ची भी मारी गई. यही कट्टरपंथ की सबसे खतरनाक तस्वीर है. क्या हमारे लोग इस धर्म की लड़ाई में एक साथ नहीं जुड़ सकते ? कब तक हम ये मौत का गन्दा खेल देखते रहेंगे क्योकि अब आतंकवाद बॉर्डर पार नहीं करता, आतंवाद अब पासपोर्ट लेकर आता हैं नवीद अकरम के जैसे। जब ऐसे लोगो को आर्थिक सहारा मिलता रहेगा ऐसे हमले होते रहेंगे।
विदेशी आतंकवादी हमले (शुरू से अब तक):
1985: एयर इंडिया फ्लाइट 182 (कनाडा/आयरलैंड)
2001: 9/11 हमले (अमेरिका)
2002: बाली बम विस्फोट (इंडोनेशिया)
2004: मैड्रिड ट्रेन बमबारी (स्पेन)
2005: 7/7 लंदन बमबारी (यूनाइटेड किंगडम)
2015: पेरिस हमले (फ्रांस)
2016: ब्रसेल्स बमबारी (बेल्जियम)
2023: 7 अक्टूबर का हमला (इज़राइल)




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