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शम्भाला का रहस्य… क्या सच में मौजूद है एक छिपा हुआ देवलोक?

क्या है शम्भाला का रहस्य, सामान्य मनुष्यों के लिए क्यों अदृश्य है ये जगह !

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By Priyanka Giri | Faridabad, Haryana | मनोरंजन - 04 December 2025

क्या आप जानते हैं कि एक ऐसी जगह है जिसे सामान्य मनुष्य नहीं देख सकता. इस जगह रहने वाले लोग 4 हजार साल जीते हैं और कई चिरंजीवी भी यहां रहते हैं. आज हम लेकर आए हैं रहस्यमयी दुनिया का सबसे बड़ा सच, एक ऐसा रहस्य जो सदियों से मनुष्य की जिज्ञासा को जगाता आया है— शम्भाला!

हाँ, वही शम्भाला… जिसे कुछ लोग सनातन ग्रंथों में छिपा स्वर्ग कहते हैं कुछ इसे तिब्बती बौद्ध परंपरा का अदृश्य राज्य बताते हैं और कुछ दावा करते हैं कि यह हिमालय के पार छिपा एक अलौकिक लोक है, जहां पहुँचना केवल उन लोगों के लिए संभव है जो आध्यात्मिक रूप से तैयार हों। लेकिन सवाल ये— आखिर शम्भाला है क्या? और सामान्य मनुष्यों के लिए यह जगह अदृश्य क्यों है शम्भाला संस्कृत का शब्द है, इसका अर्थ हैं— शांति का स्थान, सुख का लोक, ज्ञान का धाम. सनातन पुराणों में इसे एक दैवीय राज्य बताया गया है, जहां बीमारी, हिंसा, और क्रोध जैसा कुछ नहीं। बौद्ध भविष्यवाणियों में शम्भाला को एक ऐसे स्थान के रूप में बताया गया है jo कल्कि अवतार के नेतृत्व में होगा और युग परिवर्तन—कलियुग से सत्ययुग का आगमन—यहीं से शुरू होगा। लेकिन ये जगह कहां है? किसने इसे देखा? क्या ये सचमुच पृथ्वी पर है या किसी और आयाम में? कई योगी और यात्रियों ने एक ही बात कही है— शम्भाला हिमालय के भीतर छिपा है। लेकिन कोई भी सही रास्ता नहीं बता पाया। क्यों? क्योंकि कहा जाता है कि— ये स्थान भौतिक आँखों से नहीं, बल्कि चेतना से दिखाई देता है। यानी, सिर्फ रास्ता ढूँढ लेना काफी नहीं मन, शरीर और आत्मा का शुद्ध होना जरूरी है। कथाओं में बताया गया है कि शम्भाला के प्रवेश द्वार कभी तिब्बत में बताए जाते हैं, कभी लद्दाख के बर्फीले पहाड़ों में, तो कभी वह जगह जिसे ‘कैलाश का रहस्य मार्ग’ कहा जाता है। लेकिन ये रास्ते माप से नहीं, योग्यता से खुलते हैं। सबसे बड़ा प्रश्न—अगर शम्भाला सच है, तो सामान्य लोग इसे देख क्यों नहीं पाते? ऐसा कहा जाता है कि शम्भाला तीन कारणों से अदृश्य है: 1) लोग देख सकते हैं जिनकी चेतना उस स्तर तक पहुँच गई हो। बाकी लोगों को यह सामान्य हिमालय जैसा ही दिखता है। 2) इसकी ऊर्जा इतनी शक्तिशाली है कि सामान्य मनुष्य उसका सामना नहीं कर सकता। 3) शम्भाला तक वही पहुँच सकता है जिसने स्वयं को जीत लिया हो। यानि अहंकार नहीं, लोभ नहीं, भय नहीं। दुनिया भर की भविष्यवाणियाँ कहती हैं— जब पृथ्वी पर अंधकार बढ़ेगा, हिंसा और अन्याय चरम पर होगा, तब शम्भाला के द्वार खुलेंगे। कहा जाता है कि शम्भाला का अंतिम राजा कल्कि के साथ मिलकर बुराई पर अंतिम प्रहार करेगा और मानवता को नई दिशा देगा। ये भविष्यवाणी आज भी लोगों को सोचने पर मजबूर करती है— क्या वह समय करीब है? तो क्या शम्भाला एक लोक है? एक ऊर्जा क्षेत्र? शायद सच इन सबके बीच कहीं छिपा है। एक बात निश्चित है— शम्भाला सिर्फ एक जगह नहीं एक अवस्था है। और जब तक मनुष्य भीतर की यात्रा नहीं करेगा, बाहरी द्वार कभी नहीं खुलेंगे। फिलहाल, शम्भाला एक अनसुलझा रहस्य है और शायद यही इसकी सबसे सुंदर बात है। 

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