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उत्पन्ना एकादशी बहुत ही पवित्र दिन माना जाता है. इस दिन जगत के पालनहार भगवान विष्णु शरीर से एक दिव्य और तेजस्वी कन्या उत्पन्न हुई थी और उसने ‘मुर’ राक्षस का वध कर दिया था. ये देखकर भगवान विष्णु ने उसे वरदान देते हुए कहा कि तुम्हारी उत्पत्ति मेरे शरीर से हुई है और तुम मार्गशीर्ष माह के कृष्ण पक्ष की एकादशी के दिन प्रकट हुई हो, इसलिए तुम्हारा नाम एकादशी होगा।
उत्पन्ना एकादशी पहली एकादशी मानी जाती है. देवी एकाादशी की उत्पत्ति के कारण ये तिथि और भी अधिक विशेष हो जाती है. इस दिन विधि-विधान से भगवान विष्णु की पूजा की जाती है. इस दिन व्रत रखने से सभी पापों का नाश होता है और व्यक्ति मोक्ष को प्राप्त करता है. ये व्रत बहुत विशेष माना जाता है, इसलिए इसे नियमानुसार ही करना चाहिए. ऐसे में आइए जानते हैं कि इस दिन कौन सी गलतियां नहीं करनी चाहिए?
कब है उत्पन्ना एकादशी?
वैदिक पंचांग के अनुसार, इस बार मार्गशीर्ष माह के कृष्ण पक्ष की एकादशी तिथि की शुरुआत 15 नवंबर को देर रात 12 बजकर 49 मिनट पर होगी. मार्गशीर्ष माह के कृष्ण पक्ष की एकादशी तिथि का समापन 16 नवंबर को देर रात 02 बजकर 37 मिनट पर होगा. ऐसे में 15 नवंबर को उत्पन्ना एकादशी रहेगी. इसी दिन इसका व्रत रखा जाएगा।
उत्पन्ना एकादशी पर क्या न करें
झूठ और छल-कपट- उत्पन्ना एकादशी दिन झूठ बोलने या किसी को धोखा देना जैसा कार्य भूल से करना बहुत अशुभ माना गया है. इससे व्रत का फल नष्ट हो जाता है और भगवान विष्णु रुष्ट हो जाते हैं।
लहसुन-प्याज का सेवन- उत्पन्ना एकादशी के दिन घर पर केवल सात्विक भोजन ही पकाएं. इस दिन तामसिक आहार जैसे- लहसुन, प्याज, मांस, शराब का सेवन व्रत की पवित्रता को भंग कर सकते हैं।
गुस्सा और क्रोध से बचें- एकादशी व्रत रखकर क्रोध करने या दूसरों से कटु वचन बोलने से भगवान विष्णु अप्रसन्न हो सकते हैं. ऐसे व्यवहार से कभी भी व्रत का फल नहीं मिलता है।
दान से इंकार न करें- उत्पन्ना एकादशी के दिन यदि कोई भी घर के द्वार पर कुछ मांगने आए या रास्ते में कोई जरूरतमंद दिखे तो अपनी क्षमता अनुसार अन्न, वस्त्र या धन आदि का दान अवश्य करें।
चावल का सेवन- एकादशी के दिन चावल का सेवन वर्जित माना जाता है. इसलिए गलती स भी इस दिन चावल का सेवन न करें. एकादशी के बाद आप द्वादशी तिथि पर चावल खा सकते हैं।
तुलसी- इस दिन तुलसी नहीं तोड़नी चाहिए।
ब्रह्मचर्य का पालन- इस दिन पूर्ण ब्रह्मचर्य का पालन करना चाहिए।
बुराई न करें- इस दिन किसी की बुराई नहीं करनी चाहिए. इससे व्रत का फल नष्ट हो जाता है।




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