ड्रोन हमले के खतरे के बीच 15 अगस्त समारोह की सुरक्षा बड़ा चैलेंज,स्नाइपर रहेंगे तैनात

जम्मू में ड्रोन हमले के खतरे को भांपने के लिए स्पेशल सेल की एक टीम भी गई थी

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नई दिल्ली: 15 अगस्त से पहले लाल किले की सुरक्षा का ताकतवर खाका खींचा जा रहा है। सुरक्षा एजेंसियों के सूत्रों से मिली जानकारी के मुताबिक, जम्मू एयरफोर्स स्टेशन पर ड्रोन हमले से खुफिया और सुरक्षा ऐजेंसियां चौकन्नी हैं। लाल किले पर होने वाले 15 अगस्त के समारोह की सुरक्षा को लेकर इस बार बड़ा चैलेंज है। अभी से सेना और पैरामिलिट्री फोर्स के जवानों की लाल किले के अंदर और बाहर तैनाती शुरू हो चुकी है। अलग-अलग मोर्चे बनाए गए हैं। ड्रोन के खतरे को लेकर यहां पहरा बढ़ाया गया है। सूत्रों का कहना है कि समारोह से पहले दिल्ली में आतंकी साजिश को कुछ ग्रुप अंजाम देने की फिराक में हैं। जिसको लेकर दिल्ली पुलिस की एंटी टेरर यूनिट यानी स्पेशल सेल और खुफिया एजेंसियों के रेडार पर संदिग्धों की एक्टिविटी हैं। आने वाले दिनों में साजिश से पर्दा उठ सकता है।


किसी भी खतरे से निपटने के लिए तैयारी में जुटे सुरक्षा सूत्रों ने बताया कि, दिल्ली पुलिस के जवानों को रूफ टॉप फायरिंग के लिए ट्रेंड किया जा रहा है। यह रूफ टॉप के दौरान शॉर्ट रेंज और लॉन्ग रेंज फायरिंग की ट्रेनिंग है। कैसे आसमान में किसी भी संदिग्ध चीज या ड्रोन को मार गिराया जा सकता है। ये जवान लाल किले से 5 किलोमीटर के दायरे में रूफ टॉप पर होंगे। जब कि लाल किले के आसपास एनएसजी के स्नाइपर तैनात रहेंगे। लाल किले के अंदर बाहर परमानेंट मोर्चे बनाए गए हैं। दो दिन पहले नए पुलिस कमिश्नर ने विजिट किया है। वे सुरक्षा तैयारियों का जायजा लेने आए थे। सुरक्षा सूत्रों ने बताया कि जमीन से आसमान तक सभी मोर्चो पर सुरक्षा तैयारियां फुल चल रही हैं। जिसे 25 जुलाई को फाइनल टच दिया जाएगा। कोरोना के खतरे को देखते हुए समारोह में कितनों को बुलाया जाएगा। यह तभी क्लियर हो सकेगा। मौजूदा माहौल में फिलहाल स्कूली बच्चों को समारोह में बुलाए जाने की संभावना कम है। कोरोना की वजह से समारोह सादा होगा।


जम्मू में ड्रोन हमले के खतरे को भांपने के लिए स्पेशल सेल की एक टीम भी गई थी। जिससे कि राजधानी को महफूज रखा जा सके। सूत्रों ने बताया कि वैसे तो हाल ही में डीआरडीओ निर्मित एंटी ड्रोन सिस्टम लाल किले पर प्रधानमंत्री की सुरक्षा में तैनात रहेगा। एंटी ड्रोन सिस्टम तीन किलोमीटर के दायरे में आने वाले किसी भी ड्रोन के सिग्नल को जाम करने की क्षमता रखता है। साथ ही लेजर हथियार के जरिए मार गिरा सकता है। लाल किले पर स्वतंत्रता दिवस के भव्य समारोह को करीब एक महीने ही बचा है। जम्मू में हुए हमले के पीछे पाकिस्तानी आतंकी संगठन लश्कर-ए-तैयबा का हाथ माना जा रहा है। लश्कर-ए-तैयबा के टारगेट पर राजधानी दिल्ली लंबे अरसे से रही है। खुफिया एजेंसियां लश्कर-ए-तैयबा, हिजबुल मुजाहिदीन और प्रतिबंधित खालिस्तानी ग्रुप के गठजोड़ को भी खतरे के तौर पर देख रही हैं। इसी साल 26 जनवरी पर ट्रैक्टर परेड की आड़ में लाल किले पर हुई हिंसा की जांच चल रही है। अंदेशा है कि फिर से देश विरोधी ताकतें किसी साजिश को अंजाम देने या समारोह में खलल डालने की कोशिश कर सकती हैं।

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