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उत्तराखंड के चमोली जिले के माणा में ग्लेशियर टूटने के कारण भीषण हिमस्खलन हुआ, जिससे जन-जीवन पूरी तरह प्रभावित हो गया है। इस प्राकृतिक आपदा ने बॉर्डर रोड ऑर्गनाइजेशन (बीआरओ) के कैंप को भारी नुकसान पहुंचाया, जबकि कई मार्ग अवरुद्ध हो गए हैं। राहत व बचाव कार्य तेजी से चल रहा है, अब तक 47 मजदूरों को सुरक्षित निकाला जा चुका है, जबकि 8 अन्य की तलाश जारी है। इस बीच, मुख्यमंत्री पुष्कर सिंह धामी हालात का जायजा लेने के लिए चमोली रवाना हो चुके हैं।
तेजी से चल रहा राहत एवं बचाव अभियान
मौसम साफ होते ही भारतीय सेना, आईटीबीपी और एसडीआरएफ की टीमें लापता लोगों की तलाश में जुट गई हैं। हेलीकॉप्टर सेवाएं भी शुरू कर दी गई हैं, ताकि राहत सामग्री जल्द पहुंचाई जा सके और घायलों को नजदीकी अस्पतालों में भर्ती कराया जा सके।
शुक्रवार को हुए इस हादसे के बाद बीआरओ कैंप में 57 मजदूरों के फंसे होने की आशंका जताई गई थी। अब तक 47 लोगों को सुरक्षित निकाला गया है, जिनमें से कुछ की हालत गंभीर बताई जा रही है। उन्हें सेना के मेडिकल कैंप में प्राथमिक उपचार के बाद उच्च चिकित्सा केंद्रों में भर्ती कराया गया है।
मुख्यमंत्री पुष्कर सिंह धामी ने अधिकारियों से फोन पर जानकारी लेते हुए निर्देश दिया कि गंभीर रूप से घायलों को तत्काल एयरलिफ्ट कर बड़े अस्पतालों में भर्ती कराया जाए। उन्होंने भरोसा दिलाया कि सरकार हर संभव प्रयास कर रही है ताकि सभी फंसे हुए मजदूरों को जल्द सुरक्षित निकाला जा सके।
हिमस्खलन से कई रास्ते अवरुद्ध
लगातार हो रही बर्फबारी के कारण पर्वतीय इलाकों में हालात और खराब हो गए हैं। कई स्थानों पर बर्फबारी के चलते रास्ते बंद हो गए हैं, जिससे यातायात पूरी तरह ठप हो गया है।
- गंगोत्री हाईवे: गंगनानी से आगे यातायात बंद
- डबरानी क्षेत्र: हिमस्खलन के कारण रास्ता अवरुद्ध
- गोपेश्वर-चोपता हाईवे: बर्फबारी के कारण प्रभावित
- बदरीनाथ, हेमकुंड साहिब और औली: भारी बर्फबारी से जनजीवन प्रभावित
मौसम विभाग की चेतावनी, रेड अलर्ट जारी
मौसम विभाग ने अगले 3-4 दिनों तक खराब मौसम की चेतावनी जारी की है। देहरादून, उत्तरकाशी, रुद्रप्रयाग, टिहरी, पौड़ी, चमोली, पिथौरागढ़, बागेश्वर, अल्मोड़ा, नैनीताल और चंपावत जिलों में बारिश और ऊंचाई वाले इलाकों में हल्की से मध्यम बर्फबारी की संभावना जताई गई है।
इन जिलों में रेड अलर्ट जारी:
- उत्तरकाशी
- चमोली
- रुद्रप्रयाग
- पिथौरागढ़
- बागेश्वर
इन क्षेत्रों में हिमस्खलन का खतरा ज्यादा है, इसलिए स्थानीय प्रशासन ने ऊंचाई वाले इलाकों में रहने वाले लोगों से सतर्क रहने और बिना जरूरत घर से बाहर न निकलने की अपील की है।
गोपेश्वर क्षेत्र के 40 से अधिक गांव बर्फ से ढक चुके हैं, जिससे स्थानीय निवासियों को भारी मुश्किलों का सामना करना पड़ रहा है। सरकार और प्रशासन पूरी कोशिश कर रहे हैं कि स्थिति को जल्द से जल्द सामान्य किया जा सके।




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