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पवनपुत्र हनुमान के भक्तों की कोई सीमा नहीं है। उनकी भक्ति में न केवल हिंदू बल्कि मुस्लिम श्रद्धालु भी शामिल हैं। हनुमान जी अपने सभी भक्तों पर कृपा बरसाते हैं और संकट से मुक्त करते हैं। वह केवल एक देवता ही नहीं, बल्कि एक योद्धा भी हैं, जिनमें ज्ञान, बल, पराक्रम और दया का अद्भुत संगम देखने को मिलता है। कई पौराणिक कथाओं के अनुसार, कलियुग में भी संकटों को दूर करने के लिए हनुमान जी भक्तों की सहायता करते हैं।
देशभर में हनुमान जी के अनगिनत मंदिर हैं, लेकिन यह जानकर आश्चर्य होगा कि कुछ प्रसिद्ध हनुमान मंदिरों का निर्माण मुस्लिम भक्तों ने कराया था। हनुमान जी ने उन पर अपनी कृपा बरसाई, जिससे वे उनके परम भक्त बन गए। अयोध्या का हनुमान गढ़ी मंदिर और लखनऊ का अलीगंज हनुमान मंदिर ऐसे ही दो प्रसिद्ध मंदिर हैं, जिनका निर्माण मुस्लिम शासकों ने कराया था। इन मंदिरों के निर्माण की कहानियां भी बेहद दिलचस्प हैं।
हनुमान गढ़ी मंदिर, अयोध्या
भगवान श्रीराम की नगरी अयोध्या में स्थित हनुमान गढ़ी मंदिर देश के प्रमुख मंदिरों में से एक है। मान्यता है कि अयोध्या में श्रीराम की पूजा हनुमान जी के दर्शन के बिना अधूरी मानी जाती है। इस मंदिर का निर्माण लगभग 300 साल पहले एक मुस्लिम सुल्तान मंसूर अली के आदेश पर हुआ था।
इतिहास के अनुसार, एक रात सुल्तान मंसूर अली के इकलौते बेटे की तबीयत अचानक बहुत खराब हो गई। उसकी हालत इतनी बिगड़ गई कि जीवन बचाना मुश्किल लगने लगा। तब दरबार के एक व्यक्ति ने सुल्तान को हनुमान जी की आराधना करने की सलाह दी। बेटे की रक्षा के लिए सुल्तान ने श्रद्धापूर्वक हनुमान जी को स्मरण किया।
हनुमान जी की कृपा से सुल्तान का पुत्र स्वस्थ हो गया। इस चमत्कार को देखकर सुल्तान हनुमान जी के प्रति अत्यंत श्रद्धावान हो गए और उन्होंने 52 बीघा भूमि हनुमान मंदिर और इमली वन के लिए दान कर दी। संत अभयारामदास जी के निर्देशन में इस स्थान पर भव्य हनुमान मंदिर का निर्माण हुआ, जिसे हनुमान गढ़ी के नाम से जाना जाता है।
अलीगंज हनुमान मंदिर, लखनऊ
इसी प्रकार लखनऊ के अलीगंज में भी हनुमान मंदिर के निर्माण की एक रोचक कहानी है। करीब 200 साल पहले अवध के नवाब मुहम्मद अली शाह और उनकी बेगम राबिया संतान प्राप्ति के लिए परेशान थे। तमाम कोशिशों के बाद भी उन्हें संतान नहीं हो रही थी।
बेगम को एक हिंदू संत के पास जाने की सलाह दी गई। संत ने उन्हें सच्चे मन से हनुमान जी की आराधना करने को कहा। बेगम ने निष्ठापूर्वक हनुमान जी की पूजा शुरू की। कुछ ही समय बाद, उन्होंने सपने में हनुमान जी के दर्शन किए। हनुमान जी ने स्वप्न में आदेश दिया कि इस्लामीबाड़ा टीले के नीचे दबी उनकी मूर्ति को निकालकर मंदिर बनवाया जाए।
जब टीले की खुदाई हुई, तो वहां सच में हनुमान जी की भव्य प्रतिमा निकली। हनुमान जी के आदेशानुसार, बेगम राबिया ने वहां मंदिर का निर्माण करवाया। इसके कुछ समय बाद, नवाब मुहम्मद अली शाह और बेगम राबिया को संतान की प्राप्ति हुई।
हनुमान भक्ति में नवाबों की आस्था
लखनऊ के अलीगंज में स्थित यह महावीर मंदिर 6 जून 1783 को बनकर तैयार हुआ। यह मंदिर हिंदू और मुस्लिम, दोनों समुदायों की आस्था का केंद्र बना।
बाद में, जब यह मंदिर पुराना हो गया और भक्तों के लिए पहुंचना कठिन हुआ, तब नवाब सआदत अली खान की मां आलिया ने इसका पुनर्निर्माण कराया। कहा जाता है कि आलिया को कोई संतान नहीं थी, लेकिन हनुमान मंदिर में पूजा करने के बाद मंगलवार के दिन नवाब सआदत अली खान का जन्म हुआ।
मन्नत पूरी होने के बाद, आलिया ने मंदिर की छत पर चांद-तारा लगवाया, जो आज भी मौजूद है। इसके अलावा, नवाब वाजिद अली शाह ने बड़ा मंगल के अवसर पर हनुमान मंदिर में भंडारे की परंपरा शुरू की थी, जो आज भी जारी है। उनकी बेगम बंदरों को चना खिलाती थीं, जिससे यह परंपरा भी अस्तित्व में आई।
निष्कर्ष
भगवान हनुमान की भक्ति जाति, धर्म और सीमाओं से परे है। उनकी कृपा से प्रभावित होकर मुस्लिम नवाबों और शासकों ने भी मंदिरों का निर्माण कराया और भक्तों की सेवा में योगदान दिया। हनुमान जी के प्रति यह अटूट श्रद्धा दर्शाती है कि वे संकटमोचन हैं और सच्चे भक्तों की हर परिस्थिति में सहायता करते हैं।




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