हाथरस कांड: सियासी घमासान के बीच पीड़िता की दो मेडिकल रिपोर्ट से मची सनसनी!

पीड़िता ने वीडियो में बयान दिया था कि उसे सेक्सुअली असॉल्ट किया गया, आठ दिन बाद अलीगढ़ के अस्पताल द्वारा किया गया मेडिको-लीगल निरीक्षण।

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14 सितंबर के दिन यूपी के हाथरस में एक 19 वर्षीय दलित लड़की के साथ गैंगरेप जैसा घिनोना अपराध किया गया। रेप करने के बाद उसे अधमरी हालत में फेंक दिया गया। जब परिजनों को इस बात की जानकारी मिली तो आनन-फानन में उसे नज़दीकी अस्पताल में भर्ती किया गया। जहां हालत में सुधार न होने पर उसे दिल्ली ले जाया गया लेकिन दिल्ली में इलाज के दौरान उसकी मौत हो गई। जहां इस घिनोने और शर्मनांक कृत्य से पहले ही लोगों में गुस्सा था वो लड़की की मौत के बाद और ज्यादा बढ़ गया। वहीं उत्तर प्रदेश पुलिस ने जबरन पीड़िता का अंतिम संस्कार करवा दिया। जिससे परिजन और जनता में आक्रोश व्याप्त है। अब मामले में एक चौकाने वाली बात निकलकर आई है। पीड़िता की दो मेडिकल रिपोर्ट आई हैं और दोनों अलग-अलग बातों की पुष्टि करती हैं।


क्या कहना है दोनों मेडिकल रिपोर्ट का? केस में क्या आया नया मोड़? जानें इस खास रिपोर्ट में...... 


- हाथरस कांड की पीड़िता की एक मेडिकल रिपोर्ट में रेप की बात, दूसरी में खारिज


-  पीड़िता के मुताबिक उसका किया गया यौन उत्पीड़न,  अलीगढ़ के अस्पताल में 8 दिन बाद किया गया मेडिकल निरीक्षण 


- रिपोर्ट के मुताबिक पीड़िता के साथ की गई जबरदस्ती, रेप की वारदात को दिया अंजाम 


-  फॉरेंसिक एनालिसिस के आधार पर जेएनएमसी ने अपनी रिपोर्ट में इंटरकोर्स होने की बात से किया इंकार 


- यूपी के एडीजी प्रशांत कुमार ने बताया था कि महिला के सैम्पल्स मे नहीं मिले शुक्राणु


- एमएलसी रिपोर्ट में ये बताया गया कि ‘पीड़िता के मुंहको बंद किया गया’ और उस पर हत्या करने के के लिए हमला भी किया गया 


- डायग्राम्स में देखा गया कि गला दबाने के कारण पीड़िता की गर्दन पर थे लिगचर मार्क्स, बाईं तरफ 5x2 सेमी और दाईं तरफ 10x3 सेमी


- लेकिन रिपोर्ट में वैजाइनल एरिया के बारे में जानकारी देने वाले डायग्राम में नहीं दर्शाई गई कोई चोट 


- JNMC के डॉ फैज अहमद ने जिस रिपोर्ट पर हस्ताक्षर किये उसके एक सेक्शन मेँ  लिखा था "पता नहीं" 


- इस सेक्शन में पुछा गया था कि पीड़ित के शरीर के हिस्सों या कपड़ों पर पाए गए थे वीर्य के सैम्पल?


- “पीड़िता के साथ बलात्कार होने के 11 दिन बाद लिए गए थे नमूने , लेकिन सरकार के द्वारा जारी दिशा-निर्देशों के मुताबिक घटना के 96 घंटे बाद तक ही पाए जा सकते हैं फॉरेंसिक सबूत  इसलिए यह रिपोर्ट बलात्कार की पुष्टि नहीं कर सकती है,“


- 22 सितंबर के दिन दोपहर के 1.30 बजे जांच रिपोर्ट पूरी हुई जबकि पीड़िता पर 14 सितंबर के दिन  हुआ था हमला 
















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