लॉकडाउन में लोगों के लिए फरीश्ते बने ये जाबांज़, सिखाया 'इंसानियत सबसे ऊपर है'

कोरोना काल में कुछ ऐसे जाबांज़ों की कहानियों सामने आई जिसे सुन आप भी करेंगे उन लोगों को नमन.

  • 1394
  • 0

2020 में मार्च के महीने में कोरोना काल ने धीरे-धीरे करके अपने पैर पसारने शुरु किए थे. बाद में चीजें और भी भयानक रुप लेती चली गई. लाखों की संख्या में लोग दुनिया भर में मरते हुए नजर आए. कोरोना ने इंसानों की दशा को पूरी तरह से बदलकर रख दिया. इससे पहले भी कई महामारी दुनिया देख चुकी है लेकिन कोविड-19 वायरस के बारे में तो लोगों ने न तो सुना था और न ही उसका भयानक अहसास किया था. केवल एक वायरस ने ही दुनिया के सुपरपवार कहलाने वाले देशों को घुटनों पर लाने में देरी नहीं लगाई. जिन देश की मेडिकल फैसिलिटीज के डंके दुनिया भर में बजते थे उनकें यहां मरने वाले लोगों को दफन करने की जगह भी कम पड़ती दिखी.

जिस वक्त दुनिया भर में मौत का तांडव चल रहा था और हर कोई अपनों का पेट भरने में लगे हुए थे उस दौरान कुछ लोगों ने मसीहा बनने का फैसला लिया. हम सभी के बीच ऐसे लोगों के कहानियां आई जिनके बारे में आपका भी मन उनको नमन करने का करेगा. आइए ऐसे ही जाबांज़ों की कहानियों पर डालते है एक नजर यहां.


1. रोजना 400 मजूदरों को ऑटोचालक ने खिलाया खाना

पुणे के रहने वाले अक्षय संजय ने लॉकडाउन के वक्त 400 मजदूरों को खाना खिलाया था. अक्षय ने उस दौरान उनके रहने का इंतजाम भी किया. उन्होंने अपनी शादी के लिए 3 लाख रुपये जोड़े थे जिसका इस्तेमाल उन्होंने इस चीज के लिए किया. अक्षय ने वरिष्ठ नागरिकों और गर्भवती महिलाओं को इस दौरान मुफ्त सवारी भी दी.


2. मदरसे में फंसे बच्चों के खाने की व्यवस्था एक गुरुद्वारे ने की

पंजाब के मालेरकोटला में मौजूद 'साहिब हा का नारा' के पास एक मदरसे में अचानक से लगे लॉकडाउन के चलते कई बच्चे फंस गए थे. उनके खाने-पीने की व्यवस्था एक गुरुद्वारे ने की थी. 


3. ऑक्सीजन सेंटर जब बनी मस्जिद

महाराष्ट्र के भिवंडी पूर्व के शांति नगर क्षेत्र में एक मस्जिद में ऑक्सीजन सुविधा से लैस कोविड सेंटर को बनाया गया. इतना ही नहीं मस्जिद से घर तक ऑक्सीजन सिलेंडर मुफ्त में पहुंचाने की व्यवस्था तक की गई.


4. लॉकडाउन के वक्त 6 लाख लोगों का भरा पेट

आंध्र प्रदेश के तेनाली जगह के 15 क्षेत्रों की जब पहचान की गई तो पता लगा कि 6 हजार लोगों ने अपना रोजगार खो दिया है। उस वक्त लॉकडाउन के दौरान श्री चंद्रशेखर गुरु पादुका पीठम और श्री रामायण नवान्निका यज्ञ ट्रस्ट ने 120 दिनों तक कम से कम 6 लाख लोगों को खाना खिलाया. इस काम के लिए उन्होंने 2 करोड़ रुपये खर्च किए.


5. गरीब छात्र की ऑनलाइन क्लास के लिए नहीं खरीदा प्ले स्टेशन

 बच्चों को गेम्स का शौक है इस बारे में आजकल के पेरेंट्स को पता है. लेकिन एक अली नाम के लड़के ने अपने 11वें जन्मदिन पर प्लेटस्टेशन खरीदने की बजाए अपने पापा से कहर वो पैसे tablet Challenge में लगाने के लिए कहा. स्थानीय सांसद द्वारा ऑनलाइन क्लासेज लेने में असमर्थ गरीब बच्चों के लिए इस मुहीम को शुरु किया था.


6. आदिवासी परिवारों ने बांटी जरूरतमंदो की फल-सब्जियां

कुछ आदिवासी परिवारों ने तो कमाल का काम किया है. अपने किचन गार्डन की फल-सब्जियों का इस्तेमाल दूसरों की मदद के लिए उन्होंने किया. मध्यप्रदेश के पन्ना, रीवा, उमरिया और सतना के कम से कम 232 आदिवासी परिवारों ने 1100 किचन गार्डन्स में उगाई फल-सब्जियों को दान में दे दिया.


7.  सैलरी से बस कंडक्टर ने खरीदे 2 हजार मास्क

इन सबके बीच तमिलनाडु के मदुरई में राज्य परिवहन निगम के रहने वाले एक बस कंडक्टर, वी. करुप्पासामी ने अपनी मई 2020 के पूरी सैलरी का इस्तेमाल 2 हजार मास्क खरीदने और यात्रियों को देने में लगा दिए.


8.  मांगकर चलाने वाले ने दान में दिए 90 हजार

इसके अलावा एक मिसाल लोगों के लिए बने  Poolpandiyan. उन्होंने कोविड-19 का मुकाबल करने के लिए कोविड-19 रिलीफ फंड में पहले 10 हजार और बाद में फिर 90 हजार रुपये दान किए. आपको ये जानकर हैरानी होगी कि  Poolpandiyan मांगकर अपना गुजारा चलाने वालों में से एक है.


LEAVE A REPLY

POST COMMENT