कौन हैं टाटा और कैसे टाटा ने शुरू की थी एयरलाइंस

जेआरडी टाटा देश के पहले कॉमर्शियल पायलट थे. जेआरडी टाटा को 10 फरवरी 1929 को पायलट का लाइसेंस मिला था

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जेआरडी टाटा देश के पहले कॉमर्शियल पायलट थे. जेआरडी टाटा को 10 फरवरी 1929 को पायलट का लाइसेंस मिला था. जेआरडी ने भारत में पहली बार 1932 में टाटा एयरलाइंस शुरू की, जो बाद में 1946 में एयर इंडिया में तब्दील हो गई थी. लेकिन 1953 में सरकार ने उसे खुद अपने हाथों में ले लिया था. जेआरडी टाटा उसके निदेशक बने रहे. अब वो एयर इंडिया जबकि बुरे दौर से गुजर रही है तो उसे टाटा ने फिर टेकओवर कर रहा है. उम्मीद है कि भारत की इस सबसे पुरानी एयरलाइन की किस्मत अब संवर जाएगी.


अप्रैल 1932 में एयर इंडिया का जन्म हुआ था. उस समय के उद्योगपति जेआरडी टाटा ने इसकी स्थापना की थी. इसका शुरुआत टाटा एय़रसर्विसेस के नाम से हुआ. तब कराची से मुंबई तक एयरमेल लाने का काम करती थी. इसके पास सिंगल इंजन वाले दो पस मोट विमान थे, जिसे टाटा और उनके दोस्त नेविल विंसेंट उड़ाया करते थे. इसके बाद उन्होंने पैसेंजर्स भी बिठाने शुरू किए. इसका नाम बदलकर टाटा एय़रलाइंस कर दिया गया.


पहली उड़ान में सवारियां नहीं चिट्ठी थी: जेआरडी टाटा ने बाद में अपना पायलट का लाइसेंस लिया. मगर पहली व्यावसायिक उड़ान उन्होंने 15 अक्टूबर को भरी जब वो सिंगल इंजन वाले 'हैवीलैंड पस मोथ' हवाई जहाज़ को अहमदाबाद से होते हुए कराची से मुंबई ले गए थे. इस उड़ान में सवारियां नहीं थीं बल्कि 25 किलो चिट्ठियां थीं. यह चिट्ठियां लंदन से 'इम्पीरियल एयरवेज' द्वारा कराची लाई गईं थीं. इम्पीरियल एयरवेज ब्रिटेन का राजसी विमान वाहक हुआ करता था.


2 लाख में बनी थी कंपनी: टाटा एयरलाइंस के लिए साल 1933 पहला व्यावसायिक वर्ष रहा. टाटा संस की दो लाख की लागत से स्थापित कंपनी ने इसी वर्ष 155 पैसेंजरों और लगभग 11 टन डाक भी ढोई. टाटा एयरलाइन्स के जहाजों ने एक ही साल में कुल मिलाकर 160, 000 मील तक की उड़ान भरी. पहले साल उसे 60,000 रुपए का मुनाफा हुआ.

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