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पीएम नरेंद्र मोदी इस वक्त वाराणसी पहुंच चुके हैं. जहां पर वो काशी विश्वनाथ धाम गलियारे का लोकार्पण करने वाले हैं. ऐसा कहा जा रहा है कि कम से कम साढ़े तीन सौ साल के बाद काशी विश्वनाथ मंदिर के पुनरुद्धार का काम किया गया है, जिसके चलते धाम की सूरत बदल गई है. विश्वनाथ धाम के लिए कुल 315 भवनों का अधिग्रहण किया गया है और कम से कम 700 परिवारों को विस्थापित और पुनर्वास किया गया है. इन परेशानियों को हल करने के बाद इसमें 700 करोड़ रुपये की लागत आई है.
8 मार्च 2019 में पीएम नरेंद्र ने काशी विश्वनाथ धाम प्रोजेक्ट का शिलान्यास किया था. जोकि अब जाकर 21 महीने बाद बनकर तैयार हुआ है. अब इसके चलते श्रद्धालुओं को तंग गलियों से गुजरने की कोई जरूरत नहीं होगी. इस धाम को बनाते वक्त सबसे बड़ी परेशानी भूमि अधिग्रहण को लेकर थी. क्योंकि यहां मंदिर के आसपास कई पीढ़ियों से बसे परिवार और 700 से अधिक छोटे-बड़े दुकानदार मौजूद थे. इन सभी लोगों की संपत्ति की पहले जिओ टैगिंग करके उनकी संपत्ति का पूरा विवरण जुटाया गया. इसके बाद फिर विश्वनाथ धाम के लिए चुन गए 55 वर्गमीटर में बसे 315 भवन स्वामियों से संपर्क साधा गया और उनके विस्थापन और पुनर्वास को लेकर पक्की व्यवस्था की गई. इस प्रक्रिया के अंदर करीब 600 करोड़ रुपये की लागत लगी हुई है.
काशी विश्वनाथ धाम को मिला शानदार रूप
कई सारी परेशानियों को दूर करने के बाद अब जाकर काशी विश्वनाथ धाम को दिव्य और शानदार रूप मिल सका है. अब गंगा किनारे में मौजूद वाराणसी के पुराने घाटों से श्रद्धालु सीधे बाबा के मंदिर तक आसानी से पहुंच सकेंगे. आपकी जानकारी के लिए बता दें कि काशी विश्वनाथ धाम कॉरिडोर लगभग 50 हजार वर्गमीटर से बना है, जिसे कई तरह के पत्थरों से सजाने का काम किया गया है. साथ ही रास्ते में रुद्राक्ष के पेड़ लगाए गए हैं. इसे बनाने में 21 महीनों का वक्त औप 700 रुपये की लागत लगी है.




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