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जानिए कब रखा जाएगा वट सावित्री व्रत, पूजा का ये है शुभ मुहूर्त

वट सावित्री व्रत महिलाएं पति की दीर्घायु की कामना के लिए रखती है। वट सावित्री व्रत ज्येष्ठ मास की अमावस्या तिथि के दिन रखा जाता है। सबसे पहले वट सावित्री का व्रत राजा अश्वपति की पुत्री सावित्री ने अपने पति सत्यवान के लिए किया था।

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Image Credit: प्रतीकात्मक तस्वीर
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By Taniya Singh | Delhi, Delhi | खबरें - 03 May 2025

वट सावित्री व्रत महिलाएं पति की दीर्घायु की कामना के लिए रखती है। वट सावित्री व्रत ज्येष्ठ मास की अमावस्या तिथि के दिन रखा जाता है। सबसे पहले वट सावित्री का व्रत राजा अश्वपति की पुत्री सावित्री ने अपने पति सत्यवान के लिए किया था। तभी से वट सावित्री व्रत महिलाएं अपने पति की मंगल कामना के लिए रखती हैं। पंचांग के अनुसार, 26 मई को अमावस्या तिथि का आरंभ दोपहर में 12:12 मिनट पर होगा और 27 तारीख को सुबह में 8:32 मिनट पर अमावस्या तिथि पर समाप्त। सनातन धर्म में उदयातिथि का विशेष महत्व होता है, ऐसे में यह व्रत 26 मई को रखा जाएगा।

व्रत के नियम

इस व्रत को निर्जल रहकर करना श्रेष्ठ माना गया है। साथ ही महिलाओं को इस दिन सोलह श्रृंगार भी करना चाहिए। पूजा के बाद बड़ों का आशीर्वाद लेना चाहिए। इस दिन एक टोकरी में फल, अन्न, वस्त्र आदि रखकर किसी जरूरतमंद या ब्राह्मण को दान करना शुभ होता है।

वट सावित्री व्रत की सामग्री

वट सावित्री व्रत में आप देसी घी, भीगा हुआ काला चना, मौसमी फल, अक्षत, धूपबत्ती, वट वृक्ष की डाल, गंगाजल, मिट्टी का घड़ा, सुपारी, सिंदूर, हल्दी और मिठाई शामिल करिए। वट वृक्ष की परिक्रमा हमेशा घड़ी की दिशा (दक्षिणावर्त) में ही करनी चाहिए। परिक्रमा करते समय सात बार धागा या कलावा पेड़ के चारों ओर लपेटा जाता है। 

वट सावित्री व्रत का महत्व 

यह व्रत करने से आपका वैवाहिक जीवन खुशहाल होगा और आपसी प्रेम संबंध प्रगाढ़ होंगे। साथ ही यह व्रत करने से संतान सुख भी प्राप्त हो सकता है। इस पूजा में वट यानी बरगद के पेड़ की पूजा की जाती है, क्योंकि माना जाता है कि भगवान ब्रह्मा, विष्णु और महेश तीनों वटवृक्ष में वास करते हैं।

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