इस धरती पर मौजूद हैं आज भी महाभारत के समय के इन श्रापों के प्रभाव

महाभारत के वक्त के श्रापों का जानिए कैसे आज भी है गहरा प्रभाव.

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हिन्दू धर्म इस धरती पर सबसे प्राचीन धर्मों में से एक महाभारत को माना जाता है. इसके चलते यहां कई मान्यताओं को देवी-देवताओं संग जोड़ा जाता है. इसके अलावा उनके श्रापों के बारे में भी विस्तार से बताया जाता है.  उनका प्रभाव अब तक इस धरती पर मौजूद है, इसके बारे में बहुत कम लोगों को पता है.  आइए हम आपको ऐसे ही श्रापों के बारे में और उनकी कहानियों को लेकर विस्तार से बताते हैं.

उर्वशी ने दिया अर्जुन को श्राप

महाभारत के वक्त दिव्यास्त्र पाने के लिए अर्जुन स्वर्ग लोक गए थे. जहां उर्वशी नाम की एक अप्सरा को उनसे प्यार हो गया था. जब अपने प्यार की बात उर्वशी ने अर्जुन को बताई, तो उन्होंने उर्वशी को अपनी मां के समान ही बताया. ये सुनते ही उर्वशी को गुस्सा आ गया. इसके बाद अर्जुन को सदैव नपुंसक रहने का श्राप उन्होंने दे दिया. अपने श्राप में उर्वशी में ने कहा, 'तुम नपुंसक हो जाओ तथा स्त्रियों के बीच तुम्हें नर्तक बन कर रहना पड़ेगा.'

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इस बात से घबराकर जब अर्जुन ने यह बात भगवान इंद्र को बताई तो उन्होंने कहा कि घबराने की जरूरत नहीं है. तुम्हारा ये श्राप तुम्हारे वनवास के वक्त काम आएगा. हुआ भी कुछ इस तरह से ही. अर्जुन को कौरवों से बचने के लिए एक नर्तकी का रूप ही धारण करना पड़ा. यह परंपरा आज भी कायम है.

जब स्त्रियों को मिला श्राप

भले ही ग्रंथों में युधिष्ठिर का एक बुद्धिमान और सशक्त पुरुष के तौर पर वर्णन किया गया है. लेकिन जब महाभारत समाप्त हुआ तब माता कुंती ने पांडवों के पास जाकर बताया कि कर्ण उनका ही भाई था. ये बात सुनते ही सभी पांडव आहत हुए. इतना ही नहीं युधिष्ठिर ने कर्ण का अंतिम संस्कार भी किया. बाद में वो कुंती के पास गए और श्राप देते हुए ये कहा कि आज के बाद कोई भी स्त्री कोई भी रहस्य नहीं छिपा पाएगी. ये बात आज भी एकदम सत्य है.

श्रृंगी ऋषि का परीक्षित को श्राप

मृत्यु के बाद जब पांडव स्वर्गलोक जा रहे थे, तो उन्होंने पूरा राज्य अभिमन्यु के पुत्र परीक्षित के हाथों में सौंप दिया. राजा परीक्षित के शासनकाल में सभी प्रजा खुश थी. वे सभी प्रजा का ध्यान रखते थे. एक बार जब वे जंगल में शिकार के लिए गया, तो उन्हे वहां शमीक नाम के एक ऋषि दिखाई दिए. वे अपनी तपस्या में लीन थे. ऐसी स्थिति में राजा परीक्षित ने उनसे कई बार बात करने की कोशिश की लेकिन ऋषि मूक अवस्था में थे. क्रोध में आकर राजा ने ऋषि के गले में एक सांप डाल दिया. जब ऋषि शमीक के पुत्र श्रृंगी को इस बारे में पता चला, तो उन्होंने राजा परीक्षित को श्राप दिया कि आज से सात दिन बाद राजा परीक्षित की मृत्यु तक्षक नाग के काटने से हो जायेगी. राजा परीक्षित के जीवित रहते कलयुग में इतना साहस नहीं था कि वह हावी हो सके परन्तु उनकी मृत्यु के पश्चात ही कलयुग पूरी पृथ्वी पर हावी हो गया.

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श्रीकृष्ण ने दिया अश्वत्थामा श्राप

महाभारत युद्ध के वक्त पाण्डवों पर ब्रह्मास्त्र का वार किया था. ये  देखने बाद अर्जुन ने भी अपना ब्राह्मास्त्र को छोड़ दिया. हालांकि महर्षि व्यास ने दोनों को अपने अस्त्र वापस लेने के लिए कहा. अर्जुन ने अपना ब्रह्मास्त्र वापस तो ले लिया लेकिन अश्वत्थामा को इस चीज की विद्या नहीं आती थी. इसीलिए उन्होंने अस्त्र की अपनी दिशा ही बदल दी और उसे अभिमन्यु की पत्नी उत्तरा के गर्भ की ओर कर दी. ये देखकर भगवान श्रीकृष्ण ने अश्वत्थामा को ये श्राप दिया कि तुम तीन हजार सालों तक इस धरती पर भटकते रहोगे और किसी भी जगह भी जाओगे तो तुम्हारी किसी से भी बातचीत नहीं हो सकेगी. ऐसे में मान्यता है कि अभी भी अश्वत्थामा इस दुनिया में मौजूद हैं.

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