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प्रयागराज में महाकुंभ का हिस्सा लोग देश और दुनिया से बन रहे हैं। महाकुंभ के शुभ अवसर पर अमृत स्नान के लिए साधु संतों का जमावड़ा प्रयागराज में लगा हुआ है। कहा जाता है की साधु संतों के लिए महाकुंभ बहुत जरूरी होता है। इस अमृत स्नान की तैयारी भी हो चुकी है। इस दौरान नागा साधु और सन्यासी शिविर लगाकर भगवान की भक्ति में लीन रहेंगे। अमृत स्नान के दिन नागा साधु पहले स्नान करेंगे इसके बाद बाकी श्रद्धालु स्नान कर सकते हैं इसका एक अलग ही महत्व होता है। महाकुंभ का यह भव्य नजारा केवल चार स्थानों पर ही देखने को मिलता है जिनमें उज्जैन हरिद्वार नासिक और प्रयागराज शामिल है।
महाकुंभ में डुबकी
नागा साधुओं को आध्यात्मिक ऊर्जा का केंद्र माना जाता है। इस दौरान 13 अखाड़े की नागा साधु, संत, आचार्य, महिला नागा महाकुंभ में स्नान करते हैं। इसके बाद ही भक्त महाकुंभ में डुबकी लगाते हैं जिसका शुभ फल मिलता है। महाकुंभ की अपनी एक परंपरा है जो खास तिथियों पर अन्य स्नान का होता है। धार्मिक मान्यता के अनुसार देखा जाए तो महाकुंभ में अमृत स्नान का विशेष फल मिलता है जिससे तन और मन की अशुद्धियां दूर हो जाती है।
साधू सन्यासियों के लिए क्यों जरूरी महाकुंभ
महाकुंभ साधना और सन्यासियों के लिए काफी महत्वपूर्ण माना गया है। ऐसा कहा जाता है कि साधु और सन्यासियों के अमृत स्नान करने से 1000 अश्वमेध यज्ञ के बराबर पुण्य मिलता है। अमृत स्नान करने के बाद साधु सन्यासी ध्यान लगाते हैं और मोक्ष की कामना करते हैं।
कब होगा अमृत स्नान
महाकुंभ का पहला अमृत स्नान 14 जनवरी को किया गया था। श्रद्धालु दूसरा अमृत स्नान 29 जनवरी को करने वाले हैं इसके बाद 3 फरवरी को तीसरा अमृत स्नान किया जाएगा। माघी पूर्णिमा के दिन यानी 12 फरवरी और 26 फरवरी महाशिवरात्रि के दिन अमृत स्नान होगा।




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