'कानून ऐसे बनाए जो गरीबों को भी आसानी से समझ आ जाए', पीएम मोदी का कानून मंत्रियों को संबोधन

प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने आज कानून मंत्रियों और कानून सचिवों के अखिल भारतीय सम्मेलन के उद्घाटन सत्र को संबोधित किया. पीएम मोदी ने इस कार्यक्रम को वर्चुअली संबोधित करते हुए कहा कि स्वस्थ समाज के लिए मजबूत न्याय व्यवस्था की जरूरी है.

  • 495
  • 0

प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी आज (15 अक्टूबर) को कानून मंत्रियों और कानून सचिवों के अखिल भारतीय सम्मेलन के उद्घाटन सत्र को संबोधित किया. पीएम मोदी ने इस कार्यक्रम को वर्चुअली संबोधित करते हुए कहा कि स्वस्थ समाज के लिए मजबूत न्याय व्यवस्था की जरूरी है.  इतना ही पीएम मोदी ने कानून मंत्रियों और सचिव को मंत्र दिया. पीएम ने कहा कि कानून बनाते हुए इस बात की ध्यान रखना चाहिए की गरीबों को भी आसानी से समझ आए और आम नागरिक के लिए बांधा न बने. 

'चुनौतियों के बाद भी भारतीय समाज निरंतर प्रगति की है'

पीएम मोदी ने कहा की आज जब देश आजादी का अमृत महोत्सव मना रहा  है, तब लोकहित को लेकर सरदार पटेल जी की प्रेरणा, हमें सही दिशा में भी ले जाएगी और हमें लक्ष्य तक पहुंचाएगी भीउन्होंने आगे कहा कि भारत के समाज की विकास यात्रा हजारों वर्षों की है. तमाम चुनौतियों के बाद भी भारतीय समाज निरंतर प्रगति की है. हमारे समाज की सबसे बड़ी विशेषता ये है कि वो प्रगति के पथ पर बढ़ते हुए, खुद में आंतरिक सुधार भी करता चलता है. हमारा समाज अप्रासंगिक हो चुके कायदे-कानूनों, कुरीतियों को, गलत रिवाजों को हटाता भी चलता है.


'लोक अदालतों के माध्यम से देश में बीते वर्षों में लाखों केसों को सुलझाए गए'

प्रधानमंत्री ने कहा कि लोक अदालतों के माध्यम से देश में बीते वर्षों में लाखों केसों को सुलझाया गया है. इनसे अदालतों का बोझ भी कम हुआ है और खासतौर पर, गांव में रहने वाले लोगों को, गरीबों को न्याय मिलना भी बहुत आसान हुआ है. देश के लोगों को सरकार का भाव भी नहीं लगना चाहिए और देश के लोगों को सरकार का दबाव भी महसूस नहीं होना चाहिए. देश ने डेढ़ हजार से ज्यादा पुराने और अप्रासंगिक कानूनों को रद्द कर दिया है. इनमें से अनेक कानून तो गुलामी के समय से चले आ रहे हैं.

'युवाओं के लिए लॉ से जुड़े कोर्सोस मातृभाषा में' 

पीएम नरेंद्र मोदी ने कहा कि युवाओं के लिए मातृभाषा में एकेडमिक सिस्टम भी बनाना होगा, लॉ से जुड़े कोर्सेस मातृभाषा में हो, हमारे कानून सरल, सहज भाषा में लिखे जाएं, हाईकोर्ट और सुप्रीम कोर्ट के महत्वपूर्ण केसेस की डिजिटल लाइब्रेरी स्थानीय भाषा में हो, इसके लिए हमें काम करना होगा. उन्होंने आगे कहा कि टेक्नोलॉजी किस तरह आज न्याय व्यवस्था का अभिन्न अंग बन गई है, यह हमने कोरोना काल में भी देखा. आज देश में ई-कोर्ट्स मिशन तेजी से आगे बढ़ रहा है.



RELATED ARTICLE

LEAVE A REPLY

POST COMMENT