Story Content
वित्त मंत्री निर्मला सीतारमण द्वारा पेश किए गए नए इनकम टैक्स बिल 2025 में कई पुराने और गैर-जरूरी प्रावधानों को हटा दिया गया है। इनमें सेक्शन 54E भी शामिल है, जो रेजिडेंशियल हाउस प्रॉपर्टी की बिक्री से होने वाले कैपिटल गेन पर टैक्स बचाने से जुड़े नियम बताता था। इसके अलावा, कई अन्य प्रावधान और छूट भी हटा दी गई हैं, जो अब प्रासंगिक नहीं रह गए थे।
नए इनकम टैक्स बिल में टीडीएस (TDS) और प्रेजम्प्टिव टैक्सेशन (Presumptive Taxation) से जुड़े नियमों को टेबल फॉर्मेट में पेश किया गया है, जिससे टैक्सपेयर्स के लिए इन्हें समझना आसान हो जाएगा। इसके जरिए टैक्स भरने की प्रक्रिया को सरल और पारदर्शी बनाया गया है।
इसके साथ ही, विवाद समाधान पैनल (DRP) से जुड़े प्रावधानों को अधिक स्पष्ट किया गया है, जिससे टैक्स से जुड़े मामलों में मुकदमेबाजी कम होगी और विवादों के समाधान में तेजी आएगी। इससे न केवल करदाताओं को राहत मिलेगी बल्कि टैक्स एडमिनिस्ट्रेशन भी अधिक प्रभावी बनेगा।
एक बड़ा बदलाव असेस्मेंट ईयर की जगह टैक्स ईयर का कॉन्सेप्ट पेश करना है। अब टैक्स ईयर 1 अप्रैल से 31 मार्च तक चलेगा, जिससे कर निर्धारण प्रक्रिया अधिक संगठित होगी।
डिजिटल युग को ध्यान में रखते हुए, नए बिल में क्रिप्टोकरेंसी और अन्य डिजिटल एसेट्स को संपत्ति की श्रेणी में रखा गया है। इसका मतलब है कि अब इन्हें कैपिटल एसेट माना जाएगा और इन पर टैक्स लगाया जाएगा। इससे डिजिटल एसेट्स से होने वाली आय पर स्पष्ट कर व्यवस्था लागू होगी।
नया इनकम टैक्स बिल न केवल करदाताओं के लिए प्रक्रिया को आसान बनाएगा बल्कि भारत की कर प्रणाली को आधुनिक और अधिक प्रभावी भी बनाएगा।




Comments
Add a Comment:
No comments available.