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उत्तर कोरिया के विदेश मंत्रालय ने सोमवार (3 फरवरी) को अमेरिकी विदेश मंत्री मार्को रुबियो द्वारा उत्तर कोरिया को "दुष्ट राज्य" कहे जाने पर कड़ी आलोचना की। उत्तर कोरिया ने चेतावनी देते हुए कहा कि इस प्रकार के गंभीर और बेबुनियाद बयान अमेरिका के हित में कभी भी योगदान नहीं दे सकते। उत्तर कोरिया का यह बयान दोनों देशों के बीच तनाव को और बढ़ाने की आशंका को जन्म देता है, खासकर ऐसे समय में जब दोनों देशों के नेताओं के बीच संभावित कूटनीतिक संबंधों की शुरुआत की बात हो रही है।
उत्तर कोरिया के विदेश मंत्रालय ने एक बयान में कहा, "अमेरिका के विदेश मंत्री के इस प्रकार के विरोधी शब्द और कार्य यह साबित करते हैं कि अमेरिकी नीति डीपीआरके के प्रति पहले जैसी ही बनी हुई है।" बयान में मार्को रुबियो की टिप्पणी को गंभीर और बेतुका बताया गया और यह कहा गया कि यह अमेरिकी प्रशासन के गलत दृष्टिकोण को दर्शाता है, जिससे अमेरिकी हितों को उस तरीके से बढ़ावा नहीं मिल सकता, जैसा वे चाहते हैं।
यह बयान अमेरिकी विदेश मंत्री मार्को रुबियो द्वारा 30 जनवरी को द मेगन केली शो पर दिए गए एक इंटरव्यू के बाद आया था, जिसमें उन्होंने उत्तर कोरिया और ईरान को दुष्ट राज्य करार दिया था। रुबियो के इस बयान ने उत्तर कोरिया के साथ संबंधों को और जटिल बना दिया है, क्योंकि उत्तर कोरिया पहले ही अमेरिका के साथ अपनी स्थिति को लेकर स्पष्ट रूप से असंतुष्ट है।
हालांकि, अमेरिकी राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रंप ने अपने पिछले कार्यकाल में किम जोंग उन से कूटनीतिक संबंध सुधारने की कोशिश की थी, और अब भी वह उत्तर कोरिया के साथ फिर से कूटनीतिक रिश्ते शुरू करना चाहते हैं। ट्रंप ने एक इंटरव्यू में यह संकेत दिया था कि वह किम जोंग उन से संपर्क करेंगे। 23 जनवरी को फॉक्स न्यूज़ पर दिए एक इंटरव्यू में ट्रंप ने किम जोंग उन को "धार्मिक कट्टरपंथी नहीं, बल्कि एक स्मार्ट व्यक्ति" बताया और कहा, "हां, मैं किम से फिर से संपर्क करूंगा।"
अब देखना यह होगा कि अमेरिका के नए प्रशासन और उत्तर कोरिया के बीच कूटनीतिक संबंधों में क्या नई दिशा सामने आती है। क्या अमेरिकी विदेश मंत्री मार्को रुबियो के बयान से दोनों देशों के बीच तनाव और बढ़ेगा या फिर डोनाल्ड ट्रंप की कोशिशों से कूटनीति की एक नई शुरुआत हो पाएगी? यह आने वाले समय में ही स्पष्ट होगा।




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