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कोरिया में शोधकर्ताओं ने ओमिक्रॉन वेरिएंट की पहचान करने के लिए एक मॉलिक्यूलर डायग्नोस्टिक टेक्नोलॉजी विकसित की है. दावा किया जा रहा है कि 20 मिनट के अंदर ही पता चल जाएगा कि वह शख्स वायरस के ओमिक्रॉन वेरिएंट से संक्रमित है या नहीं. यह शोध हाल ही में पूरा हुआ है, हालांकि इसे दुनिया तक पहुंचने में समय लग सकता है. POSTECH ने 10 तारीख को घोषणा की कि केमिकल इंजीनियरिंग विभाग के प्रोफेसर ली जंग-वूक के नेतृत्व में एक रिसर्च ग्रुप ने एक मॉलिक्यूलर डायग्नोस्टिक टेक्नोलॉजी विकसित की है जो केवल 20-30 मिनट में ओमिक्रॉन वेरिएंट का पता लगा सकती है और परिणाम ऑनलाइन जारी कर सकती है.
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शोध दल के अनुसार, मॉलिक्यूलर डायग्नोस्टिक एकल-न्यूक्लियोटाइड आधार पर उत्परिवर्तन को अलग कर सकती है, इसलिए यह 'स्टील्थ ओमिक्रॉन' का पता लगा सकती है जिनका आरटी-पीसीआर के माध्यम से पता लगाना मुश्किल है. कोरिया में रोग नियंत्रण और रोकथाम केंद्र वर्तमान में कोविड-19 वेरिएंट का पता लगाने के लिए तीन तरीकों का उपयोग कर रहा है.
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यह तकनीक कैसे काम करती है?
डेल्टा वेरिएंट के मामले में आरटी-पीसीआर टेस्ट से इसका पता लगाया जा सकता है, लेकिन यह ओमिक्रॉन में कारगर नहीं है. इस बार नई विकसित तकनीक डीएनए या आरएनए के अनुक्रमण की प्रक्रिया नहीं बल्कि मॉलिक्यूलर डायग्नोस्टिक टेक्नोलॉजी है. वर्तमान टेक्नोलॉजी केवल कम संख्या में वायरस का पता लगाती है, लेकिन मॉलिक्यूलर डायग्नोस्टिक टेक्नोलॉजी को न्यूक्लिक एसिड-बाइंडिंग प्रतिक्रिया के कारण को निर्धारित करने के लिए डिज़ाइन किया गया है ताकि कोविड-19 RNA मौजूद होने पर इसका तुरंत पता लगाया जा सके.




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