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जम्मू-कश्मीर के पहलगाम में 22 अप्रैल 2025 को हुए आतंकी हमले की जांच कर रही राष्ट्रीय जांच एजेंसी (NIA) को इस केस में एक बड़ा सुराग हाथ लगा है। सूत्रों के मुताबिक, इस भीषण आतंकी हमले में अल उमर मुजाहिदीन के सरगना मुश्ताक अहमद जरगर की भूमिका सामने आई है। NIA की प्रारंभिक जांच में यह खुलासा हुआ है कि जरगर के समर्थकों ने हमले के ओवरग्राउंड वर्कर्स (OGWs) को मदद पहुंचाई थी, जिससे आतंकी योजना को अंजाम देना संभव हो सका।
पुलवामा हमले से भी जुड़ा रहा है जरगर
मुश्ताक अहमद जरगर कोई नया नाम नहीं है। यह वही आतंकवादी है जो कुख्यात आतंकी संगठन जैश-ए-मोहम्मद का ऑपरेशनल कमांडर है और 2019 के पुलवामा हमले का भी आरोपी रह चुका है। उसकी खतरनाक भूमिका और आतंकी कनेक्शन को देखते हुए भारतीय एजेंसियां पहले से ही उस पर नजर रखे हुए थीं।
कंधार हाईजैक से हुई थी रिहाई
मुश्ताक जरगर को 1999 के बहुचर्चित कंधार विमान अपहरण कांड में आतंकी मौलाना मसूद अजहर और अहमद उमर सईद शेख के साथ रिहा किया गया था। उस समय इंडियन एयरलाइन्स की फ्लाइट IC-814 को हाईजैक करके कंधार ले जाया गया था, और यात्रियों की सलामती के लिए सरकार को तीन खतरनाक आतंकियों को छोड़ना पड़ा था। रिहा होने के बाद जरगर पाकिस्तान चला गया और वहीं से आतंकी गतिविधियों को संचालित करता रहा।
2023 में NIA ने की थी संपत्ति कुर्क
भारत सरकार ने मुश्ताक जरगर के संगठन अल उमर मुजाहिदीन को आतंकवादी संगठन घोषित कर रखा है। 2023 में NIA ने उसकी श्रीनगर स्थित संपत्ति को कुर्क कर दिया था। भले ही जरगर इस समय पाकिस्तान में है, लेकिन उसके समर्थक और ओवरग्राउंड नेटवर्क अब भी कश्मीर घाटी में सक्रिय हैं।
पूछताछ में मिले कई अहम खुलासे
जांच एजेंसी द्वारा गिरफ्तार किए गए कई ओवरग्राउंड वर्कर्स की पूछताछ से यह अहम जानकारी सामने आई है कि जरगर ने अपने नेटवर्क के जरिए पहलगाम हमले की रणनीति को अंजाम दिलवाया। यह हमला किसी एक आतंकी संगठन का काम नहीं बल्कि कई गुटों की मिलीभगत का नतीजा माना जा रहा है।
पहलगाम आतंकी हमला: एक खौफनाक वारदात
22 अप्रैल को हुए इस हमले में 26 लोगों की जान गई, जिनमें अधिकतर पर्यटक थे। यह हमला सिर्फ मानवता पर नहीं बल्कि भारत की आतंरिक सुरक्षा प्रणाली पर भी एक बड़ा हमला था। इसके बाद भारत ने पाकिस्तान के खिलाफ कड़ी कार्रवाई करते हुए सिंधु जल समझौते को सस्पेंड कर दिया और पाकिस्तानी वीजा रद्द कर दिए।
आतंक पर भारत का सख्त रुख
भारत सरकार की नीति अब बेहद स्पष्ट है — आतंकवाद और उसे समर्थन देने वालों को किसी भी कीमत पर बख्शा नहीं जाएगा। मुश्ताक जरगर जैसे आतंकियों को पाकिस्तान में पनाह देना इस्लामाबाद की मंशा को उजागर करता है।
NIA की जांच आगे और भी कई बड़े खुलासे कर सकती है, जिससे पाकिस्तान की भूमिका एक बार फिर अंतरराष्ट्रीय मंच पर बेनकाब हो सकती है।




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