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Balasor train Accident: ओडिशा रेल हादसे के बाद दुर्घटना में अब तक 280 से ज्यादा लोगों के मारे जाने की पुष्टि हो चुकी है. कई लोग अभी तक अपने परिजन की लाशें तलाश कर रहे हैं. इस बीच रेल हादसे से प्रभावित लोगों की दर्दनाक कहानियां सुनने को मिल रही है. ऐसे ही हेलाराम मलिक नाम के व्यक्ति ने दर्दनाक कहानी सुनाई है.
लाशों के नीचे दबा था घायल बेटा
दरअसल, रेल हादसे की खबर सुनते ही हेलाराम मलिक अपने बेटे की तालाश में 253 किलोमीटर का सफर कर ओड़िशा के बालासोर घटना स्थल पहुंचे. जहां अपने बेटे को ढूंढना शुरु किया. लेकिन वहां हर तरफ हाहाकार मचा था. उनके बेटे का कहीं अता पता नहीं था. बेटे को अस्पताल में तलाशने के बाद वह मुर्दाघर पहुंचे. जहां पर लाशों को रखा गया था. इस दौरान उनका बेटा जिंदा ही लाशों के नीचे दबा पड़ा था. मलिक अपने बेटे को मौत के मुंह से निकाल कर नई जिंदगी दी.
'बेटा बुरी तरह घायल था': मलिक
हेलाराम बताते हैं कि, अपने बेटे विश्वजीत को मुर्दाघर से निकाल कर बालासोर अस्पताल में ले गए. उसके हाथ पैर में काफी चोटें आई हुई थी. इसके बाद उसे कोलकाला के एमकेएम अस्पताल में ले गए. विश्वजीत की कई हड्डियों में चोट लगी थी. एसएसकेएम अस्पताल के ट्रॉमा केयर सेंटर में उसकी दो सर्जरी की गईं.
हर तरफ हाहाकार मचा था: मलिक
मलिक ने बताया कि हादसे की खबर टीवी पर देखा तो बेटे को फोन लगाया. बेटे ने फोन उठाया तो मुझे उसकी मुरझाई हुई सी आवाज सुनाई दी. इसके बाद मलिक तुरंत एंबुलेंस के साथ घटना स्थल के लिए रवाना हो गए. लेकिन जब वहां पहुंचे तो हर तरफ हाहाकार मचा था जिस वजह से यहां किसी को ढूँढना आसान नहीं था.
'मैं मानने को तैयार नहीं था कि बेटा जिंदा नहीं है': मलिक
"मैं अपने बेटे को वापस पाने के लिए भगवान का शुक्रिया अदा करता हूं. जब मैंने सुना कि विश्वजीत की मौत हो चुकी है, तो मेरे दिमाग में जो चल रहा था, मैं समझा नहीं सकता. मैं यह मानने के लिए तैयार नहीं था कि वह अब इस दुनिया में नहीं है और उसे ढूंढता रहा."




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