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राजस्थान ने बाल विवाह को पंजीकृत करने वाला विधेयक पारित किया, विपक्ष ने इसे काला दिन बताया

राजस्थान के भाजपा विधायकों ने बाल विवाह के पंजीकरण की आवश्यकता पर सवाल उठाते हुए सदन से बहिर्गमन किया और विधेयक को वापस लेने की मांग की.

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By Manisha Sharma | खबरें - 18 September 2021

राजस्थान ने बाल विवाह सहित विवाहों के अनिवार्य पंजीकरण पर एक अधिनियम में संशोधन के लिए एक विधेयक पारित किया है, जिसमें विपक्ष ने विधानसभा से वाकआउट किया है. विधानसभा ने राजस्थान अनिवार्य विवाह पंजीकरण (संशोधन) विधेयक, 2021 पारित किया, जो शुक्रवार को राजस्थान अनिवार्य विवाह पंजीकरण अधिनियम, 2009 में संशोधन करता है और जिसके तहत बाल विवाह की जानकारी उनके माता-पिता या अभिभावकों द्वारा शादी के 30 दिनों के भीतर प्रस्तुत की जानी चाहिए.


भारतीय जनता पार्टी (भाजपा) के विधायकों ने सदन से बहिर्गमन किया और बाल विवाह के पंजीकरण की आवश्यकता पर सवाल उठाया और विधेयक को वापस लेने की मांग की. हालांकि, राज्य की कांग्रेस सरकार ने कहा कि यह बिल सुप्रीम कोर्ट के आदेश के आधार पर लाया गया है. उन्होंने कहा, 'अगर यह बिल पास हो जाता है तो यह विधानसभा के लिए काला दिन होगा. क्या विधानसभा हमें सर्वसम्मति से बाल विवाह की अनुमति देती है? हाथ दिखाकर हम बाल विवाह की अनुमति देंगे. बिल विधानसभा के इतिहास में एक काला अध्याय लिखेगा, ”बीजेपी विधायक अशोक लाहोटी ने समाचार एजेंसी एएनआई के अनुसार कहा. राजस्थान के संसदीय कार्य मंत्री शांति धारीवाल ने हालांकि कहा कि संशोधन में यह नहीं कहा गया है कि बाल विवाह वैध होगा. “आप कहते हैं कि बाल विवाह को मान्य किया जाएगा. यह संशोधन कहीं नहीं कहता है कि ऐसे विवाह वैध होंगे. विवाह प्रमाण पत्र एक कानूनी दस्तावेज है, जिसके अभाव में विधवा को किसी भी सरकारी योजना का लाभ नहीं मिलेगा.”


राजस्थान विधानसभा में पारित विधेयक अब सरकार को विवाह पंजीकरण के लिए एक अतिरिक्त जिला विवाह पंजीकरण अधिकारी (डीएमआरओ) और ब्लॉक विवाह पंजीकरण अधिकारी नियुक्त करने की अनुमति देगा. इससे पहले राज्य में शादियों के पंजीकरण के लिए सिर्फ डीएमआरओ को ही अधिकृत किया गया था. अनिवार्य विवाह पंजीकरण अधिनियम की धारा 8 के तहत यदि विवाह के समय लड़की की आयु 18 वर्ष से कम और लड़के की आयु 21 वर्ष से कम है तो उसके माता-पिता को 30 दिनों के भीतर पंजीकरण अधिकारी को सूचित करना होगा. विपक्ष ने 2009 के अधिनियम की धारा 8 में संशोधन का विरोध करते हुए कहा कि इसे समाप्त किया जाना चाहिए. विधेयक को ध्वनि मत से पारित कर दिया गया.


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