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इस दिन है शीतला अष्टमी, जानिए पूजा का सही शुभ मुहूर्त और विधि

इस दिन की जाएगी शीतला माता की पूजा. जानिए आराधना की पूरी विधि और शुभ मुहूर्त से जुड़ी सारी जानकारी यहां.

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By Deepakshi | खबरें - 03 April 2021

हिन्दू धर्म में शीतला अष्टमी का काफी ज्यादा महत्व है. इस अष्टमी पर मां शीतला देवी की पूजा करने का विधान है. माता रानी संक्रामक रोगों से लोगों की रक्षा करती है. आइए हम आपको बताते हैं कि कैसे आप पूरी पूजा की विधि और शुभ मुहूर्त के साथ माता रानी की आराधना कर सकते हैं. अष्टमी की तिथि पर शीतला माता की पूजा की जाती है. पंचांग के अनुसार 4 अप्रैल रविवार को चैत्र मास की कृष्ण पक्ष की अष्टमी तिथि है. 

इस मौके पर चंद्रमा धनु राशि में रहने वाला है. नक्षत्र पूर्वाषाढ़ा रहेगा. इस पर्व को लेकर ऐसी मान्यता है कि होली पर्व से आठवें दिन माता रानी का ये खास दिन आता है. इस दिन भारत के कई स्थानों पर मां शीतला की विशेष पूजा अर्चना की जाती है.  शीतला माता की पूजा देश के कई स्थानों पर की जाती है. इस मौके पर शीतला माता को बासी भोजन का भोग लगाया जाता है. भोग के लिए भोजन एक दिन पहले ही बनाया जाता है.

(ये भी पढ़ें: 6 हजार साल पुरानी इस कालीन से आखिरकार खुल गया देवताओं के प्रिय सोमरस का राज)

शीतला अष्टमी का क्या है महत्व 

माता शीतला देवी की पूजा करने से संक्रामक और चेचक रोगों से बचाव होता है. ऐसा कहा जाता है कि मां इन रोगों से लोगों की रक्षा करती है. निम्न स्त्रोत में माता रानी के स्वरूप को बताया गया है.

वंदेऽहं शीतलां देवीं रासभस्थां दिगंबराम् ।

मार्जनीकलशोपेतां शूर्पालंकृतमस्तकाम् ॥

इसका मतलब ये है कि शीतला मां अपने हाथों में कलश, सूप, झाड़ू और नीम के पत्ते धारण किए हुए होती है. गर्दभ की सवारी किए हुए यह अभय मुद्रा में विराजमान हैं.

शीतला अष्टमी का शुभ मुहूर्त

शीतला अष्टमी शुभ मुहूर्त: प्रात: 6:08 बजे से शाम को 6:41 बजे तक है. 

अष्टमी की शुरुआत: 4 अप्रैल, प्रात: 4 बजकर 12 मिनट पर है.

अष्टमी का समापन: 5 अप्रैल प्रात: 2 बजकर 59 मिनट पर है. 

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जानिए क्या है शीतला अष्टमी की पूजा विधि

 प्रात: स्नान करने के बाद संकल्प लें. बाद में मां शीतला देवी का स्मरण करें, फिर मां शीतला देवी की पूजा शुरू करें. मां को भोग लगाएं. आप मां को रबड़ी, दही, चावल आदि का भोग लगा सकते हैं. मां से प्रार्थना करें की उनकी कृपा आप पर बनी रहें.

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