Story Content
उत्तराखंड का खूबसूरत शहर जोशीमठ इन दिनों खतरे में है. स्थानीय लोगों का कहना है कि पहाड़ी पर बसा यह शहर धीरे-धीरे नीचे जमीन में धंसता जा रहा है. यहां बने ज्यादातर मकानों में दरारें नजर आने लगी हैं. कई घरों के आंगन जमीन में धंसने लगे हैं. शहर की सड़कें कई जगह धंस चुकी हैं. ये सब पिछले साल नवंबर से होना शुरू हुआ था. लोगों के अंदर काफी डर है और लोग अपनी जान जोखिम में डालकर टूटे-फूटे घरों में रहने को मजबूर हैं.
घर पूरी तरह क्षतिग्रस्त
जोशीमठ शहर में कई घर पूरी तरह क्षतिग्रस्त हो गए हैं. सारी दीवारें दरक चुकी हैं. जमीन में धंसने के बाद उसके ऊपर पत्थर रखकर फिर से आंगन भर दिया गया है. लेंटर को रोकने के लिए लोगों ने लकड़ी के डंडे का सहारा लिया है, ताकि लेंटर नीचे न गिरे. हर कोई जुगाड़ के सहारे घरों में रह रहा है.
आईटीबीपी का कैंप
चीन सीमा से सटी सीमा तक जाने वाली सड़क जोशीमठ से होकर गुजरती है. जोशीमठ में भारतीय सेना की एक ब्रिगेड है. यहां सेना की एक बड़ी टुकड़ी रहती है. यहां आईटीबीपी का कैंप भी है. बद्रीनाथ धाम जाने के रास्ते में जोशीमठ भी पहला पड़ाव है. बद्रीनाथ जाने से पहले बीच में जोशीमठ आ जाता है और जब बद्रीनाथ धाम के कपाट बंद हो जाते हैं तो जोशीमठ के नरसिंह मंदिर में शीतकालीन पूजा की जाती है.
सड़क का निरीक्षण
जोशीमठ शहर के अंदर गए तो देखा कि कई जगह सड़कें धंसने लगी हैं. जोशीमठ से औली जाने वाली सड़क का निरीक्षण किया तो पाया कि सड़क झुकी हुई है. जो पुरानी पाइप लाइन थी वह निकल रही है. टीम शहर के उन तमाम घरों में गई, जहां बड़ी-बड़ी दरारें थीं. सारी दीवारें दरक चुकी हैं. घरों का आंगन जमीन में धंस गया है और उसके ऊपर पत्थर रखकर फिर से भर दिया गया है.




Comments
Add a Comment:
No comments available.