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जानिए क्या है 1971 युद्ध की दास्तान, पीएम नरेंद्र मोदी ने खुद दी रणबांकुरों को सलामी

आज से करीब 50 साल पहले भारत और पाकिस्तान के बीच युद्ध हुआ था और जिसका परिणाम निकला बांग्लादेश के तौर पर। जानिए 1971 युद्ध की पूरी कहानी।

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By Deepakshi | खबरें - 16 December 2020

राष्ट्रीय स्मारक पर पीएम नरेंद्र मोदी ने उन भारतीय सैनिकों को श्रद्धांजलि दी है जो 16 दिसंबर 1971 के युद्ध के वक्त शहीद हुए थे। इसके बाद उन्होंने 4 स्वर्णिंम विजय मशाल को प्रज्जवलित किए। देश के अलग-अलग हिस्सों में इसे ले जाया जाएगा। चलते वायु सेना, सेना और नौ सेना के अलावा भारतीय सश्सत्र बलों की प्रगति की स्थापना की। इस दौरान राजपथ पर लड़ाकू विमानों के फ्लाई पास्ट तक किया था। आइए जानते हैं कि 16 दिसंबर 1971 की वो दास्तान जिसके चलते मनाया जाता है विजय दिवस। 

आज से करीब 50 साल पहले दुनिया के नक्शे पर बांग्लादेश नाम के एक देश को पहचान हासिल हुई थी।  इतना ही नहीं 16 दिसंबर 1971 के दिन ही पाकिस्तान को भारत ने जबरदस्त मात दी थी।1971 में भारत-पाकिस्तान के बीच युद्ध हुआ था। इसी के चलते वायु सेना, सेना और नौ सेना के अलावा भारतीय सश्स्त्र बलों की प्रगति की स्थापना की। 3 दिसंबर 1971 के वक्त ये युद्ध शुरु हुआ था और ये 16 दिसंबर यानि 13 दिन बाद पाकिस्तान के बिना किसी शर्त के आत्मसमर्पण के साथ खत्म हुआ था। इसके चलते ही बांग्लादेश आजाद हो पाया। इस दिन को इसीलिए विजय दिवस के तौर पर मनाया जाता है। 

पश्चिम पाकिस्तान की दमनकारी नीतियों की चलते पूर्वी पाकिस्तान में असंतोष का माहौल बन गया था। उस वक्त पूर्वी पाकिस्तान को आजादी दिलाने के लिए शेख मुजीबुर्हमान लगातार संघर्ष करते हुए नजर आ रहे थे। इसी के आधार पर उन्होंने 6 सूत्रीय फॉर्म्यूला तैयार किया था। उसकी ही मदद से पाकिस्तान सरकार पर मुकदमा तक चलाया गया। लेकिन बहुत कम लोगों को ये पता है कि  1970 में जो चुनाव हुए थे वो पूर्वी पाकिस्तान को आजाद देश बनाने में अहम भूमिका निभाते  हुए नजर आए। देश की सत्ता में जब सही प्रतिनिधित्व नहीं मिला तो इसके चलते पूर्वी पाकिस्तानन में विरोध की आवाज और तेज हो गई। जनता सड़कों पर आ गई और आंदोलन शुरु कर दिया। पाकिस्तानी सेना ने इस आंदोलन की आवाज दबाने के लिए कई अभियान भी चलाए। हत्या और रेप की वारदात और बढ़ने लगी। इसी के बाद की लोग बड़ी संख्या में भारत में शरण लेने लगे थे। ऐसे में भारत के अंदर शरणार्थियों का संकट मंडराने लगा।

इंदिरा गांधी ने बढ़ाया मदद का हाथ

इसके बाद 31 मार्च 1971 को भारत की पूर्व पीएम इंदिरा गांधी ने बंगाल देशे के लोगों की मदद करने की बात कही। इसी के आधार पर पूर्वी पाकिस्तान में मुक्ति वाहिनी सेना का निर्माण किया गया, जिसे भारतीय सेना ने पूरी तरह से मदद उपलब्ध कराई थी। ऐसे में पाकिस्तान नाराज हो बैठा और उसने ऑपरेशन चंगेज खान के चलते भारत के 11 एयरबसों पर हमला बोल दिया। इस हमले के बाद पाकिस्तान 3 दिसंबर 1971 को आधिकारिक तौर पर भारत  युद्ध का हिस्सा बन गया और ये युद्ध 3 दिसंबर से 16 दिसंबर तक चला। इसी दिन बांग्लादेश को आजादी हासिल हुई। इसके बाद से ये ही ये दिन विजय दिवस के तौर पर मनाया जाता है।

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