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गुजरात से आने वाली लेफ्टिनेंट कर्नल कुरैशी आर्मी परिवार से नाथा रखाती हैं। उनकी परदादी क्रांतिकारी रानी लक्ष्मीबाई के साथ रहती थी, जिन्होंने देश के स्वतंत्रता संग्राम में अंग्रेजों से लड़ाई लड़ी थी। उनके दादा औप पिता दोनों ही भारतीय सेना में अपनी सेवा दे चुके हैं। उनके पति भी सेना के अधिकारी हैं। जो इन दिनों फ्रंटलाइन पर एक यूनिट को कमान संबाल रहे हैं।

लेफ्टिनेंट कर्नल
सोफिया कुरैशी भारतीय सेना की महिला अधिकारी हैं,
जिन्हें 2018 पुणे में आयोजित आसियान देशों
के साथ अंतरराष्ट्रीय सैन्य अभ्यास में भारतीय सैन्य टुकड़ी का कमांडर बनाया गया
था। वह भारतीय टुकड़ी की कमांडर बनाने वाली एकमात्र महिला थीं।

सोफिया कुरैशी ने
महाराजा सयाजीराव यूनिवर्सिटी से बीएससी और एमएससी की पढ़ाई पूरी की। उनका सपना
प्रोफेसर बनाने का था। लेकिन जब सोफिया को भारतीय सेना में चयनित होने का मौका
मिला, तो उन्होंने पीएचडी छोड़ दी और साल 1999 में सेना की सिग्नल कोर में कमीशंड
हुई।

सोफिया कुरैशी ने
साल 2006 में कांगो अफ्रीका में संयुक्त राष्ट्र शांति मिशन में मिलिट्री ऑब्जर्वर
के रुप में सेवाएं दी। उन्हें पंजाब सीम पर किए गए कार्य के लिए GOC-IN-C पत्र सहित से भी सम्मानित किया गया हैं।

कर्नल सोफिया कुरैशी ने वायुसेना की विंग कमांडर व्योमिका सिंह और विदेश सचिव विक्रम सचिव के साथ मीडिया से बात की। सोफिया कुरैशी ने बताया कि 7 मई की रात 1 बजे इस मिशन को शुरुआत की गई,जो कुल 25 मिनट तक चला और पाकिस्तान के 9 आतंकी ठिकानों को तबाह कर दिया।

इस दौरान कर्नल सोफिया कुरैशी ने ऑपरेशन सिंदूर को पहलगाम हमले में मारे गए लोगों का न्याय बताया। उनके इस जज्बें ने देशभर की युवतियों को प्ररेति किया है।





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