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दिल्ली विधानसभा चुनाव से पहले फाफी ज्यादा सियासी हलचल देखने को मिल रही है। दिल्ली सरकार में मंत्री कैलाश गहलोत ने आप पार्टी से इस्तीफा दे दिया है। उनके इस्तीफे ने हर किसी को हैरानी में डाल दिया है। आप पार्टी के लिए किसी बड़े सदमे से कम नहीं है। लोकसभा चुनाव के बाद से ही उनके पार्टी से अलग होने की बात कही जा रही थी।
दरअसल एक मीडिया हाउस में छपी रिपोर्ट के मुताबिक आप के सूत्रों के हवाले से ये कहा गया है कि वो दो बार के विधायक और वरिष्ठ मंत्री कैलाश गहलोत के इस्तीफे से विधानसभा चुनावों में जाट मतदाता प्रभावित हो सकते हैं। साथ ही पार्टी के खास प्रयासों में भी बाधा आ सकती है। पार्टी की मुश्किले भी बढ़ सकती है। दिल्ली में 10 फीसदी जाट वोटर हैं.। दिल्ली में नजफगढ़, मुंडका, नांगलोई, समेत कई ऐसी सीटें हैं जहां जाट वोटों का दबदबा है।
इन चीजों से नाराज थे कैलाश गहलोत
आप के सूत्रों ने इस बात का दावा किया कि वह कुछ वक्त से पार्टी के वरिष्ठ नेतृत्व से नाखुश और असंतुष्ट थे। खासकर जब उन्हें नजरअंदाज कर दिया गया और आतिशी को सीएम के रूप में पदोन्नत किया गया और उनके पास मौजूद कानून और राजस्व जैसे अहम विभाग उनके पास चले गए। एक अन्य नेता ने कहा, "पहली बार विधायक बनी आतिशी को महत्वपूर्ण विभागों की जिम्मेदारी के साथ पदोन्नत किए जाने के बाद, दिल्ली कैबिनेट में अनुभवी और वरिष्ठ मंत्री गहलोत को लगा कि उन्हें नजरअंदाज किया गया है।"
इन योजनाओं पर दिया खास योगदान
आपकी जानकारी के लिए बता दें कि कैलाश गहलोत ने कई महत्वपूर्ण योजनाओं जैसे "पिंक पास", "मुख्यमंत्री तीर्थ यात्रा योजना", "इलेक्ट्रिक वाहन नीति", और बस मार्शल और हाई-टेक सुरक्षा प्रणाली की शुरूआत करने में अहम भूमिका अदा की थी।




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