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भारत एक बार फिर से पाकिस्तान के खिलाफ बड़ा कदम उठाने जा रहा है। भारत के विदेश मंत्री डॉ. एस जयशंकर और अफगानिस्तान के विदेश मंत्री अमीर मुत्ताकी के बीच बातचीत हुई है। 15 मई की शाम को फोन कॉल पर दोनों की जो बात हुई उससे पाकिस्तान की टेंशन बढ़ गई है। सूत्रों की माने तो जयंशकर और मुत्ताकी के बीच अफनागिनस्तान में भारतीय मदद वाली विकास परियोजनाओं को आगे बढ़ाने पर रजामंदी हुई है। इसके अंदर लालंदर की वो शहतूत बांध परियोजना शामिल है, जो काबुल नदी पर बनाई जानी है। दोनों देशों के बीच इसे लेकर समझौता तो फरवरी 2021 में हुआ था, लेकिन काबुल में हुए सत्ता बदल ने इसपर ब्रेक लगा दिया था।
दरअसल सामने आई जानकारी के मुताबिक जयशंकर और मुत्ताकी के बीच अफगानिस्तान में भारतीय मदद वाली विकास परियोजनाओं को आगे बढ़ने पर बातचीत हुई। साथ ही उस पर रजामंदी भी लागू हुई। इसके अंदर लालंदर की वो शहतूत बांध परियोजना शामिल है, जो काबुल नदी पर बनाई जानी है। दोनों देशों के बीच इसको लेकर फरवरी 2021 में समझौता हुआ था, लेकिन काबुल में हुए सत्ता बदल ने इसपर ब्रेक लगा दिया था। ऐसे में पहलगाम हमले के बाद भारतीय राजनयिक टीम के काबुल दौरे ने इस परियोजना की सुगबुगाहट को एक बार फिर से हवा देने का काम किया है।
पाकिस्तान की उड़ने वाली है नींद
पाकिस्तान की चिंता की एक बड़ी वजह यह है कि काबुल नदी सिंधु बेसिन का हिस्सा है और हिंदूकुश पर्वतों से निकलकर खैबर पख्तूनख्वा प्रांत में प्रवेश करती है। इस नदी पर यदि बांध बनता है, तो पाकिस्तान की जल आपूर्ति पर असर पड़ सकता है, खासकर तब जब अफगानिस्तान और पाकिस्तान के बीच किसी जल संधि का अस्तित्व ही नहीं है। ऐसे में अफगानिस्तान को भारत समर्थित इस परियोजना के लिए पाकिस्तान की अनुमति की आवश्यकता नहीं है।




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