भारत में भले ही कोरोना की दूसरी लहर धीमी पड़ गई हो, लेकिन इसके डेल्टा प्लस वेरिएंट ने सभी की चिंता बढ़ा दी है. एम्स के निदेशक रणदीप गुलेरिया ने बड़ा बयान देते हुए कहा है कि अभी तक ऐसा कोई डेटा नहीं मिला है जिसके आधार पर यह कहा जा सके कि डेल्टा प्लस संस्करण से अधिक मौतें हुई हैं या इसके कारण भारत में संक्रमण तेजी से फैला है. निदेशक गुलेरिया ने कहा कि यदि कोरोना से निपटने के लिए जारी दिशा-निर्देशों का पालन किया जाता है तो आप किसी भी नए संस्करण से सुरक्षित रहेंगे.
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जानकारी के लिए बता दें कि भारत में कोरोना के टीकाकरण के लिए तीन टीकों का इस्तेमाल किया जा रहा है. कोवैक्सीन की प्रभावकारिता 77.8 प्रतिशत है, जबकि कोविड शील्ड निर्माण सीरम इंस्टीट्यूट, पुणे द्वारा किया जा रहा है. इसकी प्रभावकारिता 62 से 80 प्रतिशत है.
इसके अलावा टीकाकरण के लिए रूसी वैक्सीन स्पुतनिक वी का भी इस्तेमाल किया जा रहा है. इसकी प्रभावकारिता 91.6% है. अमेरिकी फार्मा कंपनी मॉडर्न की वैक्सीन को भी हाल ही में इस्तेमाल की मंजूरी मिली है. तीसरे चरण के परीक्षण के बाद यह टीका 94.1 प्रतिशत प्रभावी पाया गया है.
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