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दिल्ली हाईकोर्ट ने
ताहिर हुसैन को दंगे से जुड़ी हत्या के मामले में पैरोल पर रिहा किया गया है, जिस वजह से वह 14 जनवरी से 9 फरवरी तक AIMIM के उम्मीदवार के रूप में मुस्तबाद सीट से चुनाव
लड़ सकते है। लेकिन उनकी इस याचिका के उद्देश्य को जस्टिस नीना बंसल कृष्णा ने अस्वीकार
कर दिया उनका कहना है कि हुसैन के खिलाफ आरोपों को नजरअंदाज नहीं किया जा सकता।
अदालत का कहना है कि
केवल इस वजह से ताहिर हुसैन एक पूर्व नगर पार्षद थे। उन्हें अंतरिम जमानत का हकदार
नहीं माना जा सकता है। अदालत ने हिरासत में पैरोल के वक्त ताहिर हुसैन पर कई
शर्तें लगाई।
अदालत ने ताहिर
हुसैन पर कौन सी शर्ते लगाई?
Registration
Process में आधिकारियों को
छोड़कर मीडिया या किसी से बातचीत नहीं कर सकते।
Registration
Process के वक्त ताहिर
हुसैन के परिवार के सदस्य मौजूद रह सकते है।
Registration
Process की तस्वीरे सोशल मीडिया
पर पोस्ट नहीं कर सकते है।
वहीं
दिल्ली पुलिस ने फरवरी 2020 की हिंसा से संबंधित हत्या के मामले में आरोपी ताहिर
हुसैन की जमानत का विरोध किया। पुलिस ने कहा कि ताहिर हुसैन उत्तर-पूर्वी दिल्ली
में भड़के साम्प्रदायिक हिंसा का मुख्य साजिशकार्ता है। वही सॉलीसीटर जनरल चेतन ने
कहा कि हम दस्तावेजों, नामांकन दाखिल करने
और बैंक खाता खोलने में सहयोग करेंगे।
अदालत ने आदेश में
कहा आरोपों की प्रकृति को ध्यान में रखते हुए ताहिर हुसैन को पर्चा दाखिल करने के
संबंध में पैरोल हिरासत दी जाती है। इसके साथ अदालत ने अधिकारियो से Nomination Form दाखिल करने और अन्य प्रक्रियाओं को पूरा करने
में ताहिर हुसैन की मदद करने के भी निर्देंश दिए। राज्य संबंधित अधिकारियों के साथ
पूरी प्रक्रिया समय पर पूरा करने का आदेश भी दिया।




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