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JNU छात्रसंघ चुनाव से पहले ABVP की भव्य मशाल यात्रा, राष्ट्रवाद की गूंज और छात्र शक्ति का प्रदर्शन
नई दिल्ली: जवाहरलाल नेहरू विश्वविद्यालय (JNU) में छात्रसंघ चुनाव की सरगर्मी अब चरम पर है। इसी कड़ी में अखिल भारतीय विद्यार्थी परिषद (ABVP) ने 21 अप्रैल की रात एक भव्य मशाल यात्रा निकाली, जिसने न केवल विश्वविद्यालय परिसर को रोशन किया बल्कि छात्रों के जोश और राष्ट्रवादी भावना को भी प्रकट किया। इस आयोजन में सैकड़ों छात्र शामिल हुए, जिनमें विश्वविद्यालय के विभिन्न विभागों के विद्यार्थी मौजूद थे।
गंगा ढाबा से शुरू होकर चंद्रभागा तक पहुंची मशाल यात्रा
मशाल यात्रा की शुरुआत JNU के प्रतिष्ठित गंगा ढाबा से हुई, जो हमेशा से ही छात्र आंदोलनों और बहस-मुबाहसों का केंद्र रहा है। वहां से यह यात्रा पूरे परिसर से गुजरती हुई चंद्रभागा हॉस्टल तक पहुंची। रास्ते भर ABVP समर्थक छात्रों ने 'भारत माता की जय', 'वंदे मातरम' और 'जय हिंद' जैसे राष्ट्रवादी नारे लगाए, जिससे पूरा कैंपस देशभक्ति की भावना से गूंज उठा।
ABVP उम्मीदवारों ने संभाली अगुवाई
इस यात्रा की अगुवाई ABVP के छात्रसंघ चुनाव के उम्मीदवारों ने की। अध्यक्ष पद की प्रत्याशी शिखा स्वराज, उपाध्यक्ष पद के लिए निट्टू गौतम, सचिव पद के लिए कुणाल राय और संयुक्त सचिव पद के लिए वैभव मीणा ने न केवल यात्रा का नेतृत्व किया बल्कि छात्रों से चुनाव में भाग लेने की अपील भी की।
शिखा स्वराज ने एक मीडिया बातचीत में कहा, “हमारा लक्ष्य इस बार 2400 वोट हासिल करना है। ABVP अब किसी को हराने के लिए नहीं बल्कि अपने काम के दम पर मैदान में है।” उन्होंने चुनावी खर्चों पर उठे सवालों का जवाब देते हुए कहा कि “हम साधारण पोस्टरों से ही प्रचार कर रहे हैं, क्योंकि हमारे पास सीमित संसाधन हैं लेकिन छात्रों का असीमित समर्थन है।”
मशाल यात्रा बना राष्ट्रवाद और संगठन की शक्ति का प्रतीक
मशाल यात्रा सिर्फ एक चुनावी रैली नहीं, बल्कि एक राष्ट्रवादी प्रतीक बन गई। छात्रों के हाथों में जलती हुई मशालें, बुलंद नारे, और एकजुटता का प्रदर्शन इस बात का संकेत था कि ABVP का आधार JNU में मज़बूत होता जा रहा है। कई छात्रों ने इसे राष्ट्रवाद और परिवर्तन की मशाल करार दिया।
छात्रों की पहली पसंद बनता ABVP - राजेश्वर कांत दुबे
ABVP जेएनयू इकाई के अध्यक्ष राजेश्वर कांत दुबे ने कहा, “मशाल यात्रा में उमड़े जनसैलाब ने साबित कर दिया कि अब JNU के छात्र सिर्फ बहस नहीं, एक मजबूत वैचारिक विकल्प चाहते हैं। ABVP आज JNU में छात्रों की पहली पसंद बन चुका है।”
उन्होंने आगे कहा कि “यह यात्रा इस बार वामपंथी संगठनों को कड़ी टक्कर देगी। जिस तरह से छात्रों का उत्साह देखने को मिला, वह आने वाले चुनाव के परिणाम की एक झलक है।”
क्या कहता है यह चुनावी माहौल?
जैसे-जैसे चुनाव की तारीख नज़दीक आ रही है, जेएनयू कैंपस का माहौल और भी गर्म होता जा रहा है। एबीवीपी की मशाल यात्रा से यह साफ हो गया है कि इस बार मुकाबला बेहद दिलचस्प और कांटे का होगा। जहां एक ओर वामपंथी छात्र संगठन अपनी रणनीति पर काम कर रहे हैं, वहीं ABVP का यह आक्रामक प्रचार अभियान उसे स्पष्ट बढ़त देता नजर आ रहा है।




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