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"इस खेल में जो पावर है न, उसका नशा ही अलग है..."
वन्स अपॉन ए टाइम इन मुंबई का ये डायलॉग मुंबई की सच्चाई को बखूबी बयां करता है। मुंबई, जहां एक ओर अरब सागर की विशाल लहरें हैं, तो दूसरी ओर बॉलीवुड और देश-विदेश की बड़ी कंपनियों का ठिकाना। इसी समंदर के किनारे कभी एक ऐसा डॉन उभरा, जिसने अंडरवर्ल्ड की दुनिया पर दशकों तक राज किया—दाऊद इब्राहिम।
साधारण परिवार से अपराध की दुनिया तक
दाऊद इब्राहिम का जन्म 26 दिसंबर 1955 को महाराष्ट्र के रत्नागिरी जिले के मुमका गांव में एक पुलिस हवलदार के घर हुआ था। लेकिन उसकी ख्वाहिशें आम नहीं थीं। उसे शाही जिंदगी का इतना शौक था कि महज सात साल की उम्र में ही वह चोरी और डकैती जैसे अपराधों में शामिल हो गया। उसके पिता ने उसे गिरफ्तार भी किया था, लेकिन यह दाऊद के अपराधी बनने की महज शुरुआत थी।
मुंबई में अंडरवर्ल्ड का नया अध्याय
1980 के दशक तक मुंबई पर हाजी मस्तान और करीम लाला की हुकूमत थी, लेकिन जब दाऊद के भाई शब्बीर की हत्या पठान गैंग ने कर दी, तब हालात बदल गए। बदले की आग में जलते दाऊद ने गैंगवार की नई कहानी लिखी। 1986 में करीम लाला के भाई रहीम खान की हत्या के साथ उसने मुंबई अंडरवर्ल्ड पर अपनी पकड़ मजबूत कर ली और देखते ही देखते पूरी मुंबई पर उसका खौफ छा गया।
डी-कंपनी का खौफ और फिल्म इंडस्ट्री में दखल
गैंगवार के बाद दाऊद ने दुबई को अपना नया ठिकाना बना लिया और वहीं से अपना आपराधिक नेटवर्क फैलाने लगा। मीडिया ने उसके गैंग को "डी-कंपनी" नाम दिया, जो तस्करी, जबरन वसूली, मादक पदार्थों की तस्करी और रियल एस्टेट माफिया जैसे अवैध धंधों में लिप्त थी। कहा जाता है कि दाऊद ने बॉलीवुड में भी अपना पैसा लगाया और कई फिल्मों की फंडिंग की। बड़े बिजनेसमैन और फिल्मी सितारे उसके दरबार में हाजिरी लगाते थे।
1993 मुंबई बम धमाके और दाऊद का भागना
12 मार्च 1993 को मुंबई में 12 जगहों पर सिलसिलेवार बम धमाके हुए, जिनमें 257 लोग मारे गए और 713 घायल हुए। 27 करोड़ की संपत्ति तबाह हो गई। इन धमाकों के मास्टरमाइंड के रूप में दाऊद इब्राहिम का नाम सामने आया, लेकिन वह भारत की पकड़ से बाहर ही रहा। रिपोर्ट्स के मुताबिक, वह पाकिस्तान भाग गया और वहीं से अपना आपराधिक साम्राज्य चलाता है।
आज भी कायम है दाऊद का नाम
दाऊद इब्राहिम को भारत का मोस्ट वांटेड अपराधी घोषित किया गया, लेकिन वह अब भी सुरक्षा एजेंसियों की पकड़ से बाहर है। मुंबई में उसकी बनाई अपराध की इमारत भले ही ढह रही हो, लेकिन उसका नाम आज भी अंडरवर्ल्ड की दुनिया में गूंजता है।




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