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जम्मू-कश्मीर के लोग भारतीय सेना की उस सख्त कार्रवाई का भरपूर स्वागत कर रहे हैं, जिसमें ‘ऑपरेशन सिंदूर’ के तहत पाकिस्तान और पीओके में नौ आतंकी ठिकानों को निशाना बनाया गया। मंगलवार देर रात भारतीय थल-सेना और वायुसेना की संयुक्त मिसाइल स्ट्राइक की खबर मिलते ही राजधानी जम्मू में लोगों ने एकजुट होकर देशभक्ति के गीत गाए और ‘भारत माता की जय’, ‘वंदे मातरम’ के नारे लगाए।
“अब सिर्फ 100 किमी नहीं, 300 किमी तक जाना बाकी है”
स्थानीय दुकानदारों, छात्र नेताओं और महिलाओं तक ने उत्साह में कहा कि प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने जो वादा किया, वह उन्होंने कर दिखाया। एक कारोबारी ने खुशी जाहिर करते हुए कहा,
“कल रात मस्जिदों की अजान हमने सुनी, आज सुबह तिरंगे की गूंज सुनने को मिली। अभी हमने सिर्फ 100 किमी तक मोर्चा बढ़ाया है, 300 किमी और आगे जाना बाकी है।”
युवाओं ने हाथों में तिरंगा थामकर बताया,
“हम इस्लामाबाद और लाहौर तक तिरंगा फहराएंगे—जब तक पाकिस्तान की जड़ें नहीं खत्म होतीं, चैन नहीं मिलेगा।”
पीएम-मंत्रिमंडल को बधाइयाँ, “देश की एक मांग पूरी हुई”
स्थानीय लोगों ने IANS से बातचीत में कहा कि उनकी यही आस थी कि पहलगाम हमले का करारा जवाब मोदी सरकार देगी। उन्होंने भारत के शीर्ष नेतृत्व—प्रधानमंत्री मोदी, गृह मंत्री अमित शाह और NSA अजीत डोभाल—को विशेष रूप से धन्यवाद कहते हुए कहा,
“पूरे देश में एक ही मांग थी: पहलगाम में मारे गए निर्दोषों का बदला। सरकार ने रातों-रात कार्रवाई कर लोगों का आत्मबल बढ़ाया।”
“पीओके में लश्कर-ए-मोहम्मद का गढ़ भी तहस-नहस”
सूत्रों के मुताबिक, निशाने पर लश्कर-ए-मोहम्मद का बहावलपुर कैंप भी था, जहां आतंकियों को नई भर्तियों और हथियारों का प्रशिक्षण दिया जा रहा था। सेना के प्रवक्ता ने इसे
“हमारे जवानों की सूझबूझ, इंटेलिजेंस और फायरपावर का कमाल”
करार दिया।
पाकिस्तान में हाहाकार, इंसानी क्षति की जानकारी नहीं
जम्मू की गलियों में यह चर्चा भी हो रही है कि पाकिस्तानी मीडिया में पैनिक का माहौल है। हालांकि आधिकारिक तौर पर वहां से नागरिक हताहत होने की कोई पुष्टि नहीं हुई, लेकिन स्थानीय सूत्र बताते हैं कि सीमा पार हुई गोलाबारी में पीओके के कुछ गांवों में भूकंप जैसी हलचल मची थी।
कूटनीतिक उठा-पटक और यूएन की चिंता
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विदेश मंत्रालय ने बुलाई आपात बैठक: इस कार्रवाई पर पाकिस्तान ने तुरंत भारत का विरोध दर्ज कराया और संयुक्त राष्ट्र में मामला उठाने की चेतावनी दी।
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भारत की प्रतिक्रिया: विदेश मंत्रालय ने कहा कि यह आत्मरक्षा में लिया गया कदम है, जिसका उद्देश्य देश में फिर से आतंकी हमले की साजिश को पूर्व चरण में ही नाकाम करना था।
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यूएन की चिंता: संयुक्त राष्ट्र महासचिव के प्रवक्ता ने दोनों पक्षों से संयम बरतने की अपील की और कूटनीतिक चैनलों के माध्यम से शांति बहाली का आग्रह किया।
जम्मू में रौनक, जम्मू-पठानकोट हाईवे पर जश्न
जम्मू-पठानकोट राष्ट्रीय राजमार्ग पर चलने वाले वाहनों ने अचानक हॉर्न बजाकर जश्न मनाया। ट्रक चालकों और बस कंडक्टर्स ने तिरंगी ध्वज दिखाकर राष्ट्रीय एकता का प्रदर्शन किया।
आगे की चुनौतियाँ
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सीमा पर सतर्कता बढ़ी: सेना ने एलओसी और अंतरराष्ट्रीय सीमा पर अतिरिक्त पैट्रोलिंग तैनात की है।
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स्थानीय प्रशासन की तैयारी: कर्फ्यू और सोशल मीडिया मॉनिटरिंग के इंतजाम किए गए हैं ताकि अफवाहों से बचा जा सके।
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आर्थिक प्रभाव: रक्षा खर्च बढ़ने से राज्य के विकास कार्यों पर अल्पकालिक असर की संभावना है, लेकिन लोग इसे “देश की सुरक्षा सर्वोपरि” मान रहे हैं।
‘ऑपरेशन सिंदूर’ ने दिखा दिया कि भारत आतंकवाद के खिलाफ पूरी दृढ़ता के साथ खड़ा है। जम्मू के लोगों का उत्साह और एकता इस बात का जीवंत उदाहरण है कि जब देशभक्ति बुलंद हो, तो कोई भी चुनौती असंभव नहीं रहती।




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