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मध्य प्रदेश के बीजेपी नेता और मंत्री विजय शाह द्वारा भारतीय सेना की अधिकारी कर्नल सोफिया कुरैशी को कथित तौर पर अपमानित करने के बाद देशभर में गुस्सा भड़क गया है। इस विवादित बयान के खिलाफ विभिन्न शहरों और कस्बों में विरोध प्रदर्शन हो रहे हैं। जनता, राजनीतिक दल और सामाजिक संगठन मंत्री विजय शाह की गिरफ्तारी की सख्त मांग कर रहे हैं। इसके बावजूद मंत्री विजय शाह ने अपने पद से इस्तीफा देने से इनकार कर दिया है, जबकि मध्य प्रदेश पुलिस अभी तक उन्हें गिरफ्तार करने में असमर्थ रही है। इस पूरे मामले में पुलिस और सरकार की चुप्पी ने स्थिति को और भड़काया है।
विगत दिनों मंत्री विजय शाह का ठिकाना भी अज्ञात है। पुलिस और प्रशासन की ओर से इस बात को लेकर कोई आधिकारिक जानकारी नहीं दी जा रही है कि विजय शाह फिलहाल कहां हैं और गिरफ्तारी क्यों नहीं हो पा रही। इससे लोगों में सवाल उठ रहे हैं कि क्या कानून सबके लिए एक समान है या फिर सत्ता और प्रभाव के चलते मंत्री अपनी पकड़ से बच रहे हैं। इस मुद्दे को लेकर विपक्षी दल सपा और कांग्रेस ने बीजेपी सरकार पर जमकर हमला बोला है और लगातार विजय शाह के इस्तीफे और गिरफ्तारी की मांग कर रहे हैं।
सपा और कांग्रेस ने इस मामले को राजनीतिक मोर्चा बना दिया है। दोनों पार्टियों के नेता यह सवाल उठा रहे हैं कि क्या यही बीजेपी का राष्ट्रवाद है, जिसमें सेना की बहादुर महिला अधिकारी के अपमान को तवज्जो नहीं दी जा रही। एमपी कांग्रेस के प्रवक्ता भूपेंद्र गुप्ता ने यह भी कहा कि जब विजय शाह कर्नल सोफिया के खिलाफ आपत्तिजनक टिप्पणी कर रहे थे, तब वहां पूर्व संस्कृति मंत्री और महू की विधायक ऊषा ठाकुर भी हंसती नजर आईं, जो बीजेपी की उस संस्कृति को दर्शाता है जिसमें असंवेदनशीलता और घोर असम्मान शामिल है।
भूपेंद्र गुप्ता ने यह भी याद दिलाया कि विजय शाह पहले भी विवादों में रहे हैं। नवंबर 2020 में जब वे वन मंत्री थे, तब उन्होंने फिल्म 'शेरनी' की शूटिंग के दौरान अभिनेत्री विद्या बालन को रात के खाने पर आमंत्रित किया था। विद्या बालन ने इस प्रस्ताव को अस्वीकार कर दिया, जिसके बाद शाह के विभाग ने शूटिंग की अनुमति वापस ले ली थी। इस घटना ने भी उनके खिलाफ तीखी आलोचना झेलनी पड़ी थी।
सिर्फ इतना ही नहीं, विजय शाह को 2013 में तत्कालीन मुख्यमंत्री शिवराज सिंह चौहान की पत्नी के बारे में विवादित टिप्पणी करने के कारण मंत्री पद से इस्तीफा देना पड़ा था। एमपी कांग्रेस महासचिव अभय तिवारी ने इस बात पर भी सवाल उठाया कि जब मंत्री ने सेना पर बेइज्जती की, तो बीजेपी क्यों चुप है? क्या यही बीजेपी का राष्ट्रवाद है?
इस विवाद ने न्यायपालिका को भी सक्रिय कर दिया है। मध्य प्रदेश हाईकोर्ट ने पुलिस को आदेश दिया है कि विजय शाह के खिलाफ सख्त कार्रवाई की जाए और जल्द से जल्द मुकदमा दर्ज किया जाए। सुप्रीम कोर्ट ने भी एमपी सरकार को फटकार लगाई थी कि इस मामले को तवज्जो दी जाए। पुलिस ने विजय शाह के खिलाफ मुकदमा दर्ज कर लिया है, लेकिन अभी तक गिरफ्तारी नहीं हो पाई है।
राजनीतिक पंडितों की मानें तो मोहन सरकार में विजय शाह को कई विधायकों और मंत्रियों का समर्थन हासिल है। यही वजह है कि वह गिरफ्तारी से बचते हुए अपनी राजनीतिक ताकत का इस्तेमाल कर रहे हैं। इस मामले ने प्रदेश की सियासत को गरमा दिया है और विपक्षी दल बीजेपी सरकार को घेरने का हर मौका ले रहे हैं।
कांग्रेस और सपा ने इस मुद्दे पर कई जगह विरोध प्रदर्शन किए हैं और जनता से भी अपील की है कि वे इस प्रकार के अन्याय के खिलाफ आवाज उठाएं। वहीं, सामाजिक संगठनों ने भी कहा है कि किसी भी नेता को कानून के ऊपर नहीं रखा जा सकता। कानून का शासन सुनिश्चित करना ही लोकतंत्र की नींव है।
मध्य प्रदेश की जनता अब यह देखना चाहती है कि सरकार और प्रशासन इस गंभीर मामले में क्या कदम उठाते हैं। क्या विजय शाह को जल्द ही गिरफ्तार कर कर्नल सोफिया कुरैशी के अपमान का मुआवजा दिया जाएगा? या फिर यह मामला भी राजनीतिक दबाव में कहीं दब जाएगा? आने वाले दिनों में इस विवाद की दिशा तय होगी।




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