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दक्षिण दिल्ली के संगम विहार इलाके में वन क्षेत्र के भीतर अवैध रूप से बसाई गई कॉलोनियों को लेकर राष्ट्रीय हरित अधिकरण ने केंद्र सरकार को कटघरे में खड़ा कर दिया है. पर्यावरण संरक्षण कानूनों के खुले उल्लंघन पर नाराजगी जाहिर करते हुए एनजीटी केंद्र से एक सप्ताह के भीतर विस्तृत जवाब दाखिल करने को कहा है.
न्यायाधिकरण ने साफ किया है कि वह ऐसे किसी भी निर्माण को कानूनी मान्यता नहीं दे सकता जो वन संरक्षण अधिनियम और अन्य पर्यावरणीय नियमों की अवहेलना करके किया गया हो.
वन क्षेत्र में 22 कॉलोनियां
दिल्ली जल बोर्ड (DJB) के अनुसार, संगम विहार क्षेत्र में कुल 44 अनधिकृत कॉलोनियां हैं. इनमें से 22 कॉलोनियां सीधे वन क्षेत्र के भीतर स्थित हैं, जबकि बाकी कॉलोनियां आंशिक रूप से जंगल की भूमि पर बनी हैं. गैर-वन क्षेत्र में स्थित 11 कॉलोनियों में से भी केवल 8 में ही सीवर लाइनें डाली गई हैं.
कचरे से गहराया पर्यावरण संकट
इन अवैध कॉलोनियों में ठोस और तरल कचरे के अनियंत्रित प्रबंधन के कारण स्थानीय पर्यावरण पर गंभीर असर पड़ा है. न तो सीवेज के निपटान की समुचित व्यवस्था है और न ही कूड़ा प्रबंधन की कोई ठोस योजना. इससे न केवल वन क्षेत्र को नुकसान पहुंच रहा है, बल्कि आसपास रहने वाली आबादी की सेहत पर भी खतरा मंडरा रहा है.
सरकारें नाकाम, अब NGT ने लिया संज्ञान
NGT ने इस मामले में पर्यावरण मंत्रालय, आवास एवं शहरी कार्य मंत्रालय के सचिवों और दक्षिण दिल्ली के उप वन संरक्षक को पक्षकार बनाते हुए नोटिस जारी किया है. सभी से 8 अगस्त से एक सप्ताह पहले तक विस्तृत जवाब दाखिल करने का आदेश दिया गया है.
जवाबदेही तय होगी या फिर यूं ही चलता रहेगा अतिक्रमण?
NGT का यह सख्त रुख उन हजारों लोगों के लिए उम्मीद की किरण बन सकता है जो अवैध कॉलोनियों और पर्यावरणीय अराजकता के बीच फंसे हुए हैं. अब देखने वाली बात यह होगी कि क्या सरकारें समय रहते ठोस कदम उठाएंगी, या फिर जंगलों पर अतिक्रमण का यह सिलसिला यूं ही चलता रहेगा.




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