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देश में हाल ही में हुए ऑपरेशन सिन्दूर के बाद विभिन्न राजनीतिक दलों और सामाजिक संगठनों से अलग-अलग प्रतिक्रियाएँ सामने आई हैं। इसी कड़ी में भारतीय किसान यूनियन (बीकेयू) के वरिष्ठ नेता और प्रवक्ता राकेश टिकैत ने भारतीय सेना के अदम्य पराक्रम को सलाम करते हुए ऑपरेशन सिन्दूर पर बधाई दी है। उन्होंने स्पष्ट किया कि वे और बीकेयू भारतीय सेना तथा केंद्र सरकार के हर निर्णय के साथ कंधे से कंधा मिलाकर खड़े हैं।
टिकैत का शांति का संदेश
राकेश टिकैत ने अपने Facebook और X (पूर्वतः Twitter) अकाउंट पर जारी संदेश में कहा:
“वर्तमान राष्ट्रीय हित को देखते हुए हमने निर्णय लिया है कि भारतीय किसान यूनियन के सभी धरना-प्रदर्शन, रैलियाँ और आंदोलन तुरंत प्रभाव से स्थगित किए जाएँ। हम शांति, सहयोग और अनुशासन के मार्ग पर विश्वास रखते हैं।”
उन्होंने यह भी जोड़ा कि किसान नेताओं का यह कदम देश में तनाव को कम करने और किसी भी अस्थिरता फैलने से रोकने की पहल है।
नरेश टिकैत का प्रशासन को सहयोगी रुख
बीकेयू के राष्ट्रीय अध्यक्ष नरेश टिकैत ने भी राकेश टिकैत के अनुरूप सभी आगामी आंदोलन स्थगित करने की घोषणा की। उनके शब्दों में:
“स्थानीय पुलिस प्रशासन को हमने पूर्ण सहयोग देने का भरोसा दिलाया है। हमारी कोशिश रहेगी कि हर किसान शांतिपूर्ण तरीके से, प्रशासन के सहयोग से अपनी समस्याएँ प्रशासन-राजनीति के समक्ष रखे।”
नरेश टिकैत ने किसानों से शांति बनाए रखने और अवांछित अफवाहों से बचने का आग्रह किया।
आंदोलन स्थगन का महत्व
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देश की एकता परिप्रेक्ष्य में
ऑपरेशन सिन्दूर जैसे रक्षा अभियांत्रिकी अभियानों के दौरान एकता और राष्ट्रीय एकजुटता आवश्यक होती है। बीकेयू का यह तत्काल स्थगन संदेश जनता को यह दिखाता है कि किसान नेता भी देशहित को सर्वोपरि मानते हैं। -
पूर्व किसानों के प्रदर्शनों से फर्क
पिछले वर्षों में दिल्ली की सीमाओं पर आयोजित लम्बे किसान आंदोलन ने ज़रूरत पड़ने पर आंदोलन वापस लेने या स्थगित करने की लचीलापन साबित की थी। ऑपरेशन सिन्दूर के मद्देनजर इस बार का स्थगन किसान नेताओं की समझदारी भी दर्शाता है।
देशभर की प्रतिक्रियाएँ
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सरकार और रक्षा विशेषज्ञ
रक्षा मामलों के जानकारों ने टिकैत बंधुओं के रुख को सराहा है। उनका मानना है कि राकेश व नरेश टिकैत ने देश की एकता बनाए रखने में अहम भूमिका निभाई। -
मुख्य विपक्षी दल
कुछ विपक्षी दलों ने इस स्थगन को अस्थायी राजनीतिक विवेक का उदाहरण बताया, जबकि अन्य ने इसे कृषि संकटों को भुनाने का अवसर बताकर आलोचना भी की। -
सोशल मीडिया
#FarmersForPeace और #OperationSindoor जैसे हैशटैग ट्रेंड कर रहे हैं। कई यूजर्स ने टिकैत बंधुओं के फैसले को “देशभक्ति की मिसाल” करार दिया, तो कुछ ने सवाल उठाए कि किसानों की समस्याएँ स्थगित क्यों हुईं।
आगे की राह
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बीकेयू ने आश्वासन दिया है कि जैसे ही स्थिति सामान्य होगी, वे किसान हितों के लिए नए कार्यक्रम घोषित करेंगे।
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इस बीच केंद्र सरकार से भी अपील की गई है कि कृषि सुधारों, बाज़ार पहुंच और न्यूनतम समर्थन मूल्य पर प्रगति रिपोर्ट जल्द प्रस्तुत की जाए।
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दोनों पक्षों के बीच संवाद चैनल खुला रखने की बात कही गई है, जिससे किसी भी तरह की गलतफ़हमी रोकी जा सके।
ऑपरेशन सिन्दूर के बाद टिकैत बंधुओं द्वारा सभी आंदोलन स्थगित करना किसान नेताओं की राष्ट्रीय चिंता और राजनीतिक समझदारी का परिचायक है। इस कदम से न केवल कश्मीर जैसे संवेदनशील मोर्चे पर शांति बनी रहेगी, बल्कि देश के किसान आन्दोलन की नैतिक ऊंचाई भी बरकरार रहेगी।




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