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वक्फ संशोधन विधेयक को लेकर पूरे देश में विवाद गहराता जा रहा है। मुस्लिम संगठनों और विपक्षी दलों ने इसे असंवैधानिक करार देते हुए इसके खिलाफ मोर्चा खोल दिया है। उनका कहना है कि यह विधेयक अल्पसंख्यक समुदाय के अधिकारों का हनन करता है और सरकार इसे जबरदस्ती थोपने की कोशिश कर रही है।
विपक्ष का हंगामा, JDU का अलग रुख
बुधवार को जब यह बिल लोकसभा में पेश किया गया, तो विपक्षी दलों ने जोरदार हंगामा किया। कांग्रेस, समाजवादी पार्टी (सपा), तृणमूल कांग्रेस (टीएमसी) और आम आदमी पार्टी (AAP) सहित कई दलों ने इसका विरोध किया और सरकार पर मुस्लिम समुदाय को निशाना बनाने का आरोप लगाया। हालांकि, जनता दल यूनाइटेड (JDU) ने बिल पर अलग रुख अपनाया है।
केंद्रीय मंत्री और JDU सांसद ललन सिंह ने कहा, "हम संसद में बताएंगे कि JDU का इस बिल पर क्या स्टैंड है। JDU और नीतीश कुमार को धर्मनिरपेक्षता की परिभाषा कांग्रेस से समझने की जरूरत नहीं है।"
वहीं, JDU सांसद संजय झा ने कहा, "नीतीश कुमार का 19 साल का ट्रैक रिकॉर्ड साफ है। बिहार में भागलपुर दंगे के पीड़ितों को न्याय तब मिला जब हमारी सरकार आई। वक्फ बिल पर JDU की राय को JPC में रखा गया था, और हमें उम्मीद है कि हमारे सुझावों को विधेयक में समायोजित किया गया है।"
गिरिराज सिंह ने किया बिल का समर्थन
उधर, केंद्रीय मंत्री गिरिराज सिंह ने विधेयक के समर्थन में बयान दिया। उन्होंने कहा, "यह बिल पूरी तरह संवैधानिक है। यह मुसलमानों और गरीबों के हित में है। जो इसका विरोध कर रहे हैं, वे मुस्लिम विरोधी हैं।"
JDU ने अपने सांसदों को जारी किया व्हिप
पटना में JDU नेता राजीव रंजन प्रसाद ने कहा कि JPC की बैठकों में पार्टी ने जो सुझाव दिए थे, उनमें से अधिकतर को विधेयक में शामिल कर लिया गया है। इसी कारण पार्टी ने अपने सांसदों को व्हिप जारी किया है कि वे संसद की कार्यवाही के दौरान सदन में मौजूद रहें और सरकार के पक्ष में मतदान करें।
मुस्लिम संगठनों ने आंदोलन की दी चेतावनी
वहीं, मुस्लिम संगठनों ने इस बिल के खिलाफ देशव्यापी आंदोलन की चेतावनी दी है। AIMIM नेता असदुद्दीन ओवैसी ने कहा कि यह विधेयक मुस्लिम समुदाय की संपत्तियों पर सीधा हमला है। उन्होंने कहा, "अगर सरकार जबरदस्ती यह कानून लागू करती है, तो हम सड़कों पर उतरकर विरोध करेंगे।"
इस बीच, कांग्रेस ने आरोप लगाया कि सरकार विधेयक के जरिए वक्फ संपत्तियों पर नियंत्रण पाना चाहती है और अल्पसंख्यकों के अधिकारों का उल्लंघन कर रही है। कांग्रेस नेता मल्लिकार्जुन खड़गे ने कहा कि "यह विधेयक पूरी तरह असंवैधानिक है और हम इसे किसी भी हाल में स्वीकार नहीं करेंगे।"
सरकार और विपक्ष के बीच बढ़ता टकराव
लोकसभा में इस विधेयक पर चर्चा के लिए 8 घंटे का समय दिया गया है। राज्यसभा में इस पर गुरुवार को चर्चा हो सकती है। ऐसे में सरकार और विपक्ष के बीच टकराव और बढ़ने की आशंका है। वहीं, विपक्ष ने इस मुद्दे पर राष्ट्रपति से मिलने का फैसला किया है और जनता के बीच जाकर इस विधेयक के खिलाफ जनजागरण अभियान चलाने की योजना बना रहा है।
आने वाले दिनों में यह विवाद और गहरा सकता है, क्योंकि विपक्ष और मुस्लिम संगठन सरकार के इस कदम के खिलाफ लामबंद हो रहे हैं। वहीं, सरकार इस विधेयक को पास कराने के लिए पूरी ताकत झोंक रही है। अब देखना होगा कि क्या यह बिल बिना किसी बाधा के पारित हो पाता है या फिर विपक्ष और मुस्लिम संगठनों के विरोध के कारण इसमें कोई बदलाव किया जाता है।




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