मेहंदीपुर बालाजी: बजरंग बली के इस चमत्कारी मंदिर के आज भी हैं अनसुलझे रहस्य!

मेहंदीपुर बालाजी मंदिर में भूलकर भी नहीं करना चाहिए ये काम जिससे आपके पीछे पड़ सकता है बुरा साया, यहां पढ़िए मंदिर से जुड़ी बड़ी बातें।

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भारत एक ऐसा देश है जहां आपको  बेहद ही अनोखी और अद्भूत चीजें देखने को मिल जाएंगी। भारत में कई ऐसे मंदिर हैं, जिनका अपना महत्व और मानयताएं हैं। लेकिन कई ऐसे मंदिर इस देश में मौजूद हैं जो लोगों को दांतों तले उंगलियां चबाने पर मजबूर कर देंगे। वैसे तो ऐसे कई मंदिर है जहां भूतों को इंसान पर से उतारा जाता है लेकिन राजस्थान के मेहन्दीपुर में स्थिति बालाजी मंदिर की अपनी अलग ही मानयता है।  दिल्ली से करीब 300 किमी दूरी पर मौजूद इस मंदिर की अपने ही चमत्कार और अनसुलझे रहस्य है जोकि लोगों को ये सोचने पर मजबूर कर देते हैं कि क्या आज भी भारत में ये सब कुछ होता है। आइए जानते हैं इस मंदिर की कई अहम और हैरान कर देने वाले रहस्यों के बारे में एक-एक करके यहां।

बालाजी मंदिर दो अति सुरम्य पहाड़ियों के बीच की घाटी में मौजूद है जिसके चलते ये घाटा मेहन्दीपुर भी कहलाता है। मंदिर एक हजार वर्ष पुराना बताया जाता है। हैरानी वाली बात ये है कि मंदिर में बजरंग बली की बालरूप मूर्ति किसी कलाकार ने अपने हाथों से नहीं बनाई है बल्कि यह स्वंयभू है। वैसे अब हम आपको वो बताने जा रहे हैं जिसके चलते ये मंदिर दूर-दूर तक चर्चा का विषय बना हुआ है। हम सभी ने ये सुना है कि विज्ञान किसी भी भूत या प्रेत को बिल्कुल भी नहीं मानता है। इसके बावजूद इस मंदिर में लोग दूर-दूर से ऊपरी चक्कर को हटाने और प्रेत बाधा से मुक्त होने के लिए आते हैं। 

भूलकर भी न करें ये काम वरना पीछे पड़ जाएगा साया

बहुत कम लोगों को इस बात की जानकारी है कि भैरवबाबा और प्रेतराज की मूर्ति इस मंदिर में मौजूद है। प्रेतराज सरकार के दरबार में करीब 2 बजे कीर्तन होता है, इसमें ही जिन लोगों पर ऊपरी साया चढ़ा होता है या कोई बाधा होता है उसे दूर किया जाता है। मेहंदीपुर बालाजी मंदिर में जाने वालों को इस बात का ध्यान रखना होता है कि आप किसी भी तरह के प्रसाद का सेवन वहां न करें और न ही आप किसी को वो दे सकते हैं। इतना ही नहीं ये प्रसाद आप घर पर भी नहीं ले सकते हैं और इस बात पर गौर करना होता है कि कोई भी खाने-पीने की चीज या फिर खुशबू वाली चीज आप यहां से नहीं लेकर जाएं। ऐसा इसलिए क्योंकि ऐसा करने पर आपके ऊपर ऊपरी साया आ सकता है।

प्रसाद में होती है इतनी ताकत

इस मंदिर में बालाजी को लड्डू, भैरों बाबा को उड़द और प्रेतराज को चावल चढ़ाया जाता प्रसाद चढ़ाया जाता है। ऐसा कहा जाता है कि यदि किसी के अंदर भी भूत-प्रेत की शक्तियां मौजूद होती है तो व्यक्ति ये प्रसाद खाते ही अजीब तरह की हरकतें करना शुरु हो जाता है। वहीं, बालाजी की बायी छाती में एक छोटा सा छेद मौजूद है। उससे लगातार जल बहता है। ऐसा कहा जाता है कि यह बालाजी का पसीना है।

भक्तों के लिए ये नियम है जरूरी

भक्तों के लिए क्या है नियमों वो भी जानना है आप सभी के लिए जरूरी। यहां आने वाले सभी यात्रियों को कम से कम एक हफ्ते तक लहसन, अंडा, मांस आदि खाना बंद कर देना होगा।

ऐसे दिया जाता है बालाजी में भूत को दंड

आपको बता दें कि कोतवाल यानी भैरों बाबा का यहां कम भूत-प्रेतों को बंदी बनाना है। वहीं, प्रेतराज सरकार बालाजी के सेना के प्रमुख है। भूतों के दंड की व्यवस्था यहीं होती है। वहीं, सुनवाई बालाजी के सामने होती है। यहां दंड देने की प्रक्रिया इतनी भयानक होती है जिसे आप देखेंगे तो खुद की रुहु कंप उठेगी। यहां हर साल हजारों की संख्या में लोग पीडा से मुक्त होकर अपने घर जाते हैं।


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