गलवान हिंसा के 1 साल: जमा देने वाली ठंड के बीच ऐसे चली थी 8 घंटे की खूनी झड़प

15 जून की रात को Galwan Valley में जो भारत और चीन के सैनिकों के बीच हिंसा हुई उस रात जानिए क्या-क्या हुआ था, जिसके चलते हिल सी गई थी पूरी दुनिया.

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15 जून 2020 का वो दिन था जब लद्दाख (Ladakh) की गलवान घाटी (Galwan Valley) में भारत (India) और चीन (China) की सीमाओं पर जबरदस्त तरीके से झड़प देखने को मिली थी. इसमें हमारे देश के 20 भारतीय सैनिक शहीद हुए थे. वही, इस साल फरवरी के महीने में चीन ने आधिकारिक तौर पर इस बात पर हामी भरी थी कि भारतीय सैन्यकर्मियों के साथ झड़प में 5 चीनी सैन्य अधिकारी और जावन मारे गए थे. लेकिन हकीकत तो कुछ और ही थी. यानी चीनी पक्ष में मृतकों की संख्या इससे कई ज्यादा थी. ऐसी रिपोर्ट्स भी सामने आई जिसमें ये कहा गया था कि इस झड़प में काफी नुकसान हुआ था.  इसके अलावा पीएम नरेंद्र मोदी ने ये तक कहा था कि हमारे जवान मारते-मारते मरे हैं. 

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इसी चीज को लेकर 6 जून को दोनों देशों की सेनाओं के स्थानीय सैन्य कमांडरों के बीच बातचीत हुई और इससे आपसी सहमति से पीछे हटने की प्रक्रिया शुरू हुई. इसी के चलते दोनों सेनाओं के बीच एक बफर जोन बनता हुआ देखा गया था.  इन सबके बावजूद एक भारतीय कमांडर ने क्षेत्र में एक चीनी शिवर को देखा और उसका निरीक्षण करने का काम किया. बस यही से ही विवाद काफी बढ़ गया और लड़ाई में बदल गया. कई मौतें हुई और चोटें भी आई थी.  इस पूरे मामले को लेकर रक्षा मंत्रालय ने ये कहा कि चीन ने गलवान में अपरंपरागत हथियारों का उपयोग किया था.

उस रात को क्या हुआ था उसके बारे में हम आपको बताते हैं.  बताया ये जाता है कि 20 में से कम से कम 17 जवानों ने जीरो से नीचे तापमान में अपनी जान गंवाई थीं. इस मामले कई मीडिया रिपोर्ट्स की माने तो एलएसी के इस पार भारतीय इलाके में पेट्रोलिंग पॉइंट 14  के पास चीनी सैनिकों के टेंट हटाने पहुंचे भारतीय सैनिक पर चीनी सेना ने पत्थरों से वार कर दिया था. इतना ही नहीं उन्होंने हद पार करते हुए डंडों, लोहे की छड़ों और लाठियों से हमला किया. इसके बाद ही भारतीय सैनिकों ने अपने कदम उठाए. ये खूनी संघर्ष करीब 8 घंटे तक चला था. इस दौरान सैनिक गलवान नदी से ऊपर एक टीले पर जा पहुंचे. कुछ जवानों के पैर फिसले और जिसकी वजह से वो नदी में गिर गए और कुछ तो पत्थरों से टकरा  गए.

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इन सबके बाद जीरो तापमान और अंधेरे के बीच भारतीय सेना अपने जवानों के शवों को लेकर नीचे लाई. कई घायल हुए जवानों ने तो सुबह तक अपना दम तोड़ दिया. ऐसा कहा जाता है कि ऐसी स्थिति को देखते हुए मौके पर चीनी सेना का ब्रिगेडियर आया और उसने सेना के जवानों को पीछे हटने और जवानों के शवों को ले जाने के लिए कहा. ऐसा कहा जाता है कि इस झड़प में चीन का कमांडिंग अफसर तक मारा गया था.

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