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कोरोना महामारी के दौर में अगर डॉक्टर नहीं होते तो शायद मानवता नहीं होती. अदृश्य शक्तियों के सामने हर कोई घुटने टेक रहा था, ऐसे में हमारे डॉक्टर ने हमारी जान बचाई. अपने घरवालों दूर रहकर हमारे लिए खड़े रहे. इतिहास गवाह है कि कैसे इन डॉक्टरों ने हमारी सेवा की. अस्पताल में खुद की जान की परवाह किए बिना मरीजों की जान बचाने में जुटे डॉक्टरों की जितनी प्रशंसा की जाए कम है. ये योद्धा अपनों से दूर महीनों से अस्पतालों में डटे हुए गैरों की जान बचा रहे हैं. आज डॉक्टरों को हम सलाम करते हैं.
आज डॉक्टरों ने ही मानवता को बचाया है. इस मौके पर देश-विदेश के सभी लोगों ने डॉक्टर को शुक्रिया कहा है. हिम्मत और जज्बा से काम लेने वाले डॉक्टरों ने वाकई में कमाल का काम किया है. ऐसे डॉक्टर के कारण ही मानवता बची हुई है.
क्यों मनाते हैं हम डॉक्टर्स डे?
हर साल 1 जुलाई को डॉक्टर्स डे मनाया जाता है. इस दिन को मनाने का मकसद बेहतर स्वास्थ्य के प्रति लोगों को जागरूक करना और डॉक्टरों को उनकी समर्पित सेवा के लिए शुक्रिया अदा करना है.
पहली बार कब मनाया गया था डॉक्टर्स डे?
पहला नेशनल डॉक्टर्स डे जुलाई 1991 में मनाया गया था. यह दिन डॉक्टरों के प्रति आभार व्यक्त करने का अवसर देता है, जो चौबीसों घंटे अपनी सेवा प्रदान करते हैं. नेशनल डॉक्टर्स डे का महत्व इसी बात से लगाया जा सकता है कि आज इस महामारी में अपनी जान की परवाह किए बगैर डॉक्टर्स लोगों को नया जीवन देने की हर संभव कोशिश कर रहे हैं.
ये डॉक्टर ही हैं, जिनके कारण हमारी ज़िंदगी बच रही है ऐसे डॉक्टरों को सलाम.




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