अपने बच्चे को बचपन से ही करेंगे प्रोत्साहित बढ़ेगा उनका आत्मविश्वास!

अपने बच्चों को खेल खेलने के लिए प्रोत्साहित करें। खेल टीम की भावना से लेकर असफलताओं पर काबू पाने के लिए कठिन परिस्थितियों को संभालने तक बहुत कुछ सिखाते हैं।

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हर मां-बाप अपने बच्चों को सभी चुनौतियों से निपटने के लिए आत्म-सम्मान और आत्मविश्वास से भरा हुआ बनाना  चाहते हैं। बच्चों को पता होना चाहिए कि वे नए विचारों और विचारधाराओं के आने के योग्य या सक्षम हैं जो समाज और उनकेखुद के लिए फायदेमंद होंगे।

आपके बच्चे के जीवन के सामाजिक स्पेक्ट्रम के हिसाब से प्रगति के साथ-साथ अकेडमिक, आत्मविश्वास और आत्म-सम्मान भी उतना ही महत्वपूर्ण है जितना कि आपको किताबों का ज्ञान होना ज़रूरी है। क्योंकि ये आपके बच्चे के व्यक्तित्व को एक आकार प्रदान करता है और आपको और ज़्यादा परिपक्व भी बनाता है। उंचे आत्मसम्मान वाले बच्चे सराहना, और आत्मविश्वास को महसूस करते हैं। वे अपनी उपलब्धियों पर गर्व करते हैं और मानते हैं कि उनके पास अपने निश्चित  लक्ष्यों को पूरा करने की क्षमता है।

यहां 5 तरीके दिए गए हैं जिनसे आप अपने बच्चों में आत्मविश्वास और आत्म-सम्मान पैदा कर सकते हैं।

1) अक्सर उनके सामने प्रेरणादायक बातें करें जिससे उन्हें प्रोत्साहन मिले। जब भी आप कर सकते हैं अपने बच्चे की तारीफ़ ज़रूर करें। चाहे वह स्कूल में हुई कोई प्रतियोग्यता को जीतने जैसी छोटी उपलब्धि ही क्यों न हो। उनके लिए खुश होकर उनका प्रोत्साहन बढ़ायें और उन्हें दिखाएं कि आप उनके सबसे बड़े प्रशंसक हैं।

2) उन्हें अपनी गलती करने दें और कोशिश करें कि उनकी आप आलोचना न करें न ही उन्हें डांटें। उन्हें अपना काम होमवर्क या घर के कामों की तरह करने दें और अगर वे कोई गलती करते हैं, तो उसे उन्हें खुद ही ठीक करने दें। इससे उनमें आत्मविश्वास की बृद्धि होगी।

3) अपने बच्चों को खेल खेलने के लिए प्रोत्साहित करें। खेल टीम की भावना से लेकर असफलताओं पर काबू पाने के लिए कठिन परिस्थितियों को संभालने तक बहुत कुछ सिखाते हैं।

4) उन्हें कम उम्र में प्रतिस्पर्धा के लिए प्रेरित करें। कोशिश करें कि आपके बच्चे ज़्यादा से ज़्यादा प्रतिस्पर्धी खेलों में भाग लें, इससे उन्हें शुरुआती स्तर पर प्रतिस्पर्धा को संभालने के लिए सिखाया जाएगा क्योंकि वे सीखेंगे कि बिना हार के महसूस किए बिना मजबूत कैसे रहें।

5) एक अच्छे रोल मॉडल बनें और अपने बच्चे के लिए ऐसे लक्ष्य निर्धारित करें जिन्हें पूरा करना बच्चों के लिए बहुत ज़्यादा मुश्किल न हो। उन्हें दिखाएं कि यदि वे सही तरह से प्रयास करते हैं तो बहुत आसानी से लक्ष्य को ज़रूर प्राप्त कर सकते हैं।

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