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संभल जामा मस्जिद सर्वे केस में हाईकोर्ट का बड़ा फैसला, मुस्लिम पक्ष की याचिका खारिज

संभल की शाही जामा मस्जिद और हरिहर मंदिर विवाद में इलाहाबाद हाईकोर्ट ने मुस्लिम पक्ष की सिविल रिवीजन याचिका खारिज कर दी है। अब जिला अदालत में सर्वे की कार्यवाही जारी रहेगी।

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Image Credit: google
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By Shraddha Singh | Delhi, Delhi | राजनीति - 19 May 2025

संभल जामा मस्जिद सर्वे केस में मुस्लिम पक्ष को इलाहाबाद हाईकोर्ट से झटका, सिविल रिवीजन याचिका खारिज

उत्तर प्रदेश के संभल जिले में स्थित जामा मस्जिद और हरिहर मंदिर विवाद से जुड़ी सुनवाई में मुस्लिम पक्ष को इलाहाबाद हाईकोर्ट से बड़ा झटका लगा है। हाईकोर्ट ने मस्जिद कमेटी द्वारा दाखिल की गई सिविल रिवीजन पिटीशन को खारिज करते हुए साफ कर दिया है कि अब जिला अदालत में सर्वे की कार्यवाही आगे बढ़ेगी।

यह फैसला जस्टिस रोहित रंजन अग्रवाल की एकल पीठ ने सुनाया, जिन्होंने मुस्लिम पक्ष की तमाम दलीलों को खारिज करते हुए सिविल कोर्ट के पहले के आदेश को बरकरार रखा।

क्या था मामला?

यह पूरा विवाद संभल जिले की शाही जामा मस्जिद और पास स्थित हरिहर मंदिर को लेकर है। हिन्दू पक्ष का दावा है कि जिस स्थान पर मस्जिद स्थित है, वहां प्राचीन हरिहर मंदिर था जिसे तोड़कर मस्जिद बनाई गई। इसी दावे को लेकर 24 नवंबर 2024 को महंत ऋषिराज की ओर से जिला अदालत में सर्वे की मांग को लेकर एक याचिका दाखिल की गई थी, जिसकी पैरवी प्रसिद्ध अधिवक्ता विष्णु शंकर जैन ने की थी।

मुस्लिम पक्ष की आपत्ति और हाईकोर्ट की सुनवाई

इस याचिका के खिलाफ मस्जिद कमेटी ने सिविल कोर्ट के 19 नवंबर 2024 के आदेश को चुनौती देते हुए इलाहाबाद हाईकोर्ट में एक सिविल रिवीजन पिटीशन दाखिल की थी। मस्जिद पक्ष का तर्क था कि यह मुकदमा पोषणीय नहीं है और धार्मिक भावना को ठेस पहुंचाने वाला है। उन्होंने कोर्ट से सर्वे की प्रक्रिया पर रोक लगाने की अपील की थी।

13 मई 2025 को इस याचिका पर अंतिम बहस पूरी होने के बाद कोर्ट ने फैसला सुरक्षित रख लिया था, जिसे अब सुनाया गया है।

हाईकोर्ट का निर्णय: सर्वे प्रक्रिया पर कोई रोक नहीं

हाईकोर्ट ने स्पष्ट कर दिया कि सर्वे की प्रक्रिया पूरी कानूनी रूप से की जा रही है और यह मुकदमा पूरी तरह पोषणीय है। कोर्ट ने कहा कि जिला अदालत में मामला जारी रहेगा और अब सर्वे की प्रक्रिया बाधित नहीं होगी।

अब आगे क्या?

हाईकोर्ट के इस फैसले के बाद अब संभल की जिला अदालत में Archaeological Survey of India (ASI) या किसी सक्षम एजेंसी द्वारा मस्जिद और मंदिर स्थल का भौगोलिक सर्वे कराए जाने की संभावना और मजबूत हो गई है। इससे यह तय हो सकेगा कि हिन्दू पक्ष के दावे में कितनी सच्चाई है।

इस मामले को लेकर एक बार फिर देशभर में धार्मिक स्थल विवादों पर चर्चा तेज हो सकती है, जैसे कि वाराणसी में ज्ञानवापी विवाद या मथुरा के श्रीकृष्ण जन्मभूमि केस।


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