श्रीलंका में लगी इमरजेंसी, विरोध प्रदर्शन नहीं कर सकेंगे लोग

श्रीलंका में खराब आर्थिक हालात और आम लोगों के सरकार विरोधी प्रदर्शनों को देखते हुए राष्ट्रपति गोटबाया राजपक्षे ने एक महीने बाद फिर इमरजेंसी लगा दी है.

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श्रीलंका में आर्थिक संकट गहराता जा रहा है. ऐसे में आए दिन इमरजेंसी जैसे हालात बन रहे है. दरअसल श्रीलंका दिवालिया हो चुका है जिसके कारण लोगों को आर्थिक संकट जैसी समस्या का सामना करना पड़ रहा है और गुस्साए लोग सरकार के खिलाफ प्रदर्शन तक करने को उतारू है.


श्रीलंका में बिगड़े आर्थिक हालात
आपको बता दें कि, श्रीलंका में बिगड़ते आर्थिक हालात के बीच राष्ट्रपति गोटबाया राजपक्षे ने 1 अप्रैल को भी इमरजेंसी लगा दी थी. हालांकि भारी विरोध प्रदर्शन के बीच पांच दिन बाद यानी 6 अप्रैल को इमरजेंसी हटा दी थी.  श्रीलंका में लगातार आर्थिक संकट की वजह से लोगों का गुस्सा बढ़ता जा रहा है. आए दिन सरकार के खिलाफ मार्च निकाले जा रहे हैं. बीते दिन भी प्रदर्शनकारियों से संसद को घेरने की कोशिश की थी. इसके बाद पुलिन ने इन्हें रोकने के लिए आंसू गैस के गोले दागे.

दिवालिया हुई श्रीलंका
सूत्रों के अनुसार, दिवालिया हो चुके श्रीलंका ने 51 अरब डॉलर का विदेशी कर्ज चुकाने से हाथ खड़े कर दिए थे. खाने-पीने का सामान और फ्यूल डिमांड पूरी करने के लिए श्रीलंका ने ये कदम उठाया है. वहीं फॉरेन एक्सचेंज रिजर्व भी खाली हो चुका है और उसके पास काफी कम डॉलर बचे हैं. अगर वो कर्ज चुकाने का फैसला लेता तो फूड प्रोडक्ट्स और फ्यूल इंपोर्ट करने के लिए उसके पास डॉलर नहीं बचते. इससे हालात और बेकाबू हो जाते.


भारत ने भी की सहायता
इस संकट की घड़ी में भारत लगातार श्रीलंका की मदद कर रहा है. क्रेडिट लाइनों और क्रेडिट स्वैप के तहत भारत जनवरी से अब तक करीब 23 हजार करोड़ रुपए की मदद कर चुका है. श्रीलंका आर्थिक संकट की वजह से खाद्य पदार्थ और ईंधन के आयात के लिए भी भुगतान नहीं कर पा रहा है.

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