चुनावी मौसम में पार्टियों में दलबदल से लेकर गीतों और मीम्स ने बनाया चुनावों को रोचक

उत्तर प्रदेश में किस ओर बैठेगा चुनाव का करवट यह तो 10 मार्च को साफ हो जायेगा लेकिन उससे पहले उत्तर प्रदेश का चुनावी मौसम बहुत कुछ बयां कर रहा है.

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उत्तर प्रदेश में किस ओर बैठेगा चुनाव का करवट यह तो 10 मार्च को साफ हो जायेगा लेकिन उससे पहले उत्तर प्रदेश का चुनावी मौसम बहुत कुछ बयां कर रहा है. चुनाव से पहले कैराना सपा-रालोद उम्मीदवार नाहिद हसन को गैंग्स्टर एक्ट के तहत गिरफ्तार कर लिया है और नया उम्मीदवार उनकी बहन इकरा को बनाया गया है. दूसरी ओर स्वामी प्रसाद मौर्य ने खुद तो सपा का दामन थाम लिया है लेकिन अपनी बेटी संघमित्रा को भाजपा में छोड़ गये हैं तो क्या वो भी ये मानते हैं कि भाजपा में बेटीयां सुरक्षित हैं. इन सबके बीच सपा के घर में भाजपा की सेंध अपर्णा यादव के रूप में लगी है, अपर्णा मुलायम सिंह यादव की बहू हैं लखनऊ से टिकट मांग रही थी अखिलेश यादव ने टिकट नही दिया तो उन्होंने भी भाजपा का हाथ पकड़ लिया.

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इन सबके बीच राजनीतिक बाते हों और बात बड़बोलेपन की न हो तो कैसे चलेगा, वोटबैंक की राजनीति के लिए नेता मंत्री कुछ भी कर गुजरने को तैयार रहते हैं कुछ भी बोलने को तैयार रहते हैं ताजा मामला मौलाना तौकीर रजा का है इन्होंने वोटबैंक के चक्कर में हिंदू विरोधी बयान दिया जिसके बाद भाजपा ने मौका मिलते ही कांग्रेस को घेर लिया.  इस बार के चुनाव ने इंफ्लुऐंसर और मीमर को भी रोजगार दे दिया है, कहीं बयानों की टक्कर चल रही है तो कहीं भड़काऊ भाषणों का बोलबाला. कहीं गीत बन रहे हैं तो कहीं मीम. इन सब में जीतेगा कौन पता 10 मार्च को नतीजे आने के बाद लगेगा.

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