झारखंड: कोविड 19 मरीजों के लिए मसीहा बना ये ऑटो चालक, मुफ्त में पहुंचा रहा है अस्पताल

झारखंड के रांची से एक ऐसा मसीहा लोगों के बीच सामने आया है, जिसने कोरोना संक्रमित मरीजों के लिए ये बड़ा काम किया है.

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झारखंड में कोरोना कहर के बीच एक ऑटो चालक की कहानी इस वक्त सामने आई है, जिसने लोगों के आशा आपातकाल में बढ़ा दी है.आम तौर पर आज कोरोना मरीजों को अस्पताल जाने के लिए कोई साधन लोगों को उपलब्ध नहीं हो रहे हैं, लेकिन इस बीच एक ऑटो चालक कोरोना मरीजों को नि:शुल्क अस्पताल पहुंचाने का जिमा उठाया है. उन्होंने अपना मोबाइल नंबर भी सोशल मीडिया पर शेयर कर दिया है. ताकि वो ज्यादा से ज्यादा लोगों तक मदद पहुंचा सकें.

झारखंड की राजधानी रांची के कोकर के रहने वाले रवि अग्रवाल ने एक मीडिया एजेंसी से बातचीत में कहा, "आम तौर पर आज सबसे अधिक जरूरत लोगों को अस्पताल जाने की है. ऐसे में कोरोना के सामान्य लक्षण वाले मरीजों को भी देखकर अधिकांश ऑटो चालक उन्हें अस्पतालों में ले जाने से मना कर रहे हैं."

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इसके अलावा रवि ने ये भी कहा, "15 अप्रैल को मैं लालपुर चौक के पास खड़ा था कि एक बुजुर्ग महिला राजेंद्र इंस्टीट्यूट ऑफ मेडिकल साइंसेज (रिम्स) जाने के लिए ऑटो तलाश कर रही थी. कई ऑटो वालों ने उन्हें ले जाने से मना कर दिया। कोई ऑटो चालक डर के मारे उन्हें वहां ले जाने के लिए तैयार नहीं था. जो भी पैसे की मांग कर रहा था, वह देने के लिए तैयार थी."

लोगों की मदद करने वाले रवि ने आगे बताया, "इस दौरान मैंने बिना किसी लालच के उन्हें रिम्स पहुंचा दिया. मुझे नहीं पता कि वह एक कोविड मरीज थी या नहीं। पहुंचाने के बाद उन्होंने 500 रुपये देने की कोशिश की, लेकिन मैंने पैसा लेने से इनकार कर दिया."

साथ ही रवि ने अपनी बात रखते हुए कहा, "जब मैं लौट रहा था, तक मुझे एहसास हुआ कि कई ऐसे लोग होंगे, जिन्हें अस्पताल जाने के लिए परेशानी का सामना करना पड़ रहा होगा. ऐसे में मैंने उसी दिन से आपातकाल में अस्पताल जाने के लिए नि:शुल्क सेवा देना प्रारंभ कर दिया और अपना नंबर सोशल मीडिया पर शेयर कर दिया."

रवि बताते हैं कि उनके पास प्रतिदिन करीब 100 से ज्यादा फोन आते हैं, लेकिन सभी को वे नहीं सुविधा दे पाते हैं. रवि प्रतिदिन सुबह अखबार बांटने का भी काम करते हैं, उसके बाद वे ऑटो चलाते हैं. उन्होंने कहा कि एक दिन में अधिक से अधिक लोगों को अस्पताल पहुंचाने का काम करने की कोशिश करते हैं.

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ईंधन का खर्च के विषय में पूछे जाने पर उन्होंने बताया कि, "जब उन्हें कोई मरीज का कॉल नहीं आता है, तब तक आम यात्रियों को ले जाता हूं, जिससे ईंधन का खर्च निकलता है." उन्होंने कहा कि आज जरूरत एक-दूसरे की मदद करने की है. उन्होंने कहा कि आज सभी लोग परेशान हैं. बस सभी को अपनी क्षमता के मुताबिक एक-दूसरे के लिए खुशी बांटने की जरूरत है, जिससे हर कोई समाज की खुशहाली के लिए योगदान कर सकता है.

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